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बड़े साइबर फ्रॉड में फंसे पूर्व NSUI अध्यक्ष अमन कुमार, पाकिस्तान कनेक्शन का आरोप

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Published On: 29 September 2025

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय (MCU) के छात्र और पूर्व NSUI अध्यक्ष अमन कुमार का नाम एक बड़े साइबर फ्रॉड मामले में सामने आया है। आरोप है कि अमन ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर सरकारी योजनाओं का झांसा देकर इंडियन पोस्ट पेमेंट बैंक (IPPB) में 250 से अधिक खाते खुलवाए, जिनका इस्तेमाल लगभग 3 करोड़ रुपए के संदिग्ध लेन-देन के लिए किया गया।

भोपाल और बिहार में सक्रिय गिरोह

जांच में पता चला कि अमन ने भोपाल में पढ़ाई के दौरान यह नेटवर्क तैयार किया। उसके साथी इरशाद के जरिए पाकिस्तान में बैठे अरशद से संपर्क हुआ। बिहार के मोतिहारी में सरपंच मोहन दास के बेटे विशाल कुमार ने इस नेटवर्क को स्थानीय स्तर पर संचालित किया। पुलिस ने आरोपी के पास से चार मोबाइल जब्त किए हैं और पूरे नेटवर्क की जांच शुरू कर दी है।

खाते खुलवाने का तरीका

जांच में सामने आया कि आरोपियों ने लोगों को 500 रुपए के लालच में खाते खुलवाए। खाताधारकों ने बाद में पासबुक मांगी तो उन्हें बताया गया कि खाते बंद हो गए हैं। अमन और उसके साथी हर खाते पर 2,500 से 5,000 रुपए कमाते थे और कई बार लेन-देन में भी हिस्सेदारी लेते थे। यह नेटवर्क पिछले दो साल से सक्रिय था और भोपाल के अलावा बिहार में भी लोगों से खाते खुलवाए गए।

ABVP ने उठाए सवाल

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) की राष्ट्रीय मंत्री शालिनी वर्मा ने कहा कि NSUI लगातार देश विरोधी गतिविधियों में शामिल होता रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि अमन कुमार का मामला पाकिस्तान से जुड़े साइबर फ्रॉड गिरोह का उदाहरण है। अमन के मोबाइल से पाकिस्तान के नंबर और लेन-देन के सबूत मिले हैं।

गिरफ्तारी

करीब 20 दिन पहले ग्रामीणों ने इस फ्रॉड की शिकायत पुलिस को की थी। मजदूरों और ग्रामीणों के खाते में पैसे फंस गए थे। पुलिस ने शुक्रवार को आरोपी अमन कुमार और सहयोगियों को हिरासत में लिया। साइबर थाना पूरे नेटवर्क की पड़ताल कर रहा है और बिहार में भी जांच जारी है। ABVP ने विद्यार्थियों से आग्रह किया है कि वे NSUI से जुड़ने से बचें। संगठन ने कहा कि यह छात्र संगठन अब “एंटी नेशनल” गतिविधियों में शामिल है और युवाओं को सतर्क रहना चाहिए। इस मामले ने NSUI और उसके पूर्व नेताओं पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं, जबकि साइबर पुलिस पूरे नेटवर्क को क्रॉस-स्टेट स्तर पर ट्रेस कर रही है।

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