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विधानसभा में गरजे नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, पूछा- “मेकिंग MP कब हकीकत बनेगा?”

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Published On: 6 August 2025

भोपाल | विधानसभा सत्र के दौरान मंगलवार को नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने प्रदेश सरकार की विकास योजनाओं और औद्योगिक दावों को लेकर जमकर सवाल खड़े किए। महानगर विधेयक पर चर्चा के दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री मोहन यादव के वक्तव्य पर तीखी प्रतिक्रिया दी और सरकार की “मेकिंग मध्यप्रदेश” योजना को केवल एक आकर्षक नारा करार दिया।

सिंघार ने कहा, “सरकार बार-बार कहती है कि निवेश आ रहा है, लेकिन जनता के सामने न तो कोई स्पष्ट आंकड़ा है और न ही यह पता है कि वह निवेश किस क्षेत्र में और किस जिले में लगा है। जमीन पर तो केवल वादे हैं, विकास कहीं दिखाई नहीं देता।”

सरकार खुद उठाए

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार यदि वाकई औद्योगिकीकरण को लेकर गंभीर है तो महाराष्ट्र की तर्ज पर निजी इंडस्ट्रियल पार्क्स को बढ़ावा दे। सिंघार का तर्क था कि केवल घोषणा करने से उद्योग नहीं आते, जब तक बुनियादी ढांचे की जिम्मेदारी सरकार खुद उठाए और उद्योगपतियों को व्यवहारिक सुविधाएं न दे, तब तक “मेकिंग मध्यप्रदेश” सपना ही रहेगा।

खेती पर साधा निशाना

नेता प्रतिपक्ष ने बेरोजगार युवाओं की दुर्दशा को लेकर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “सरकार जिन्हें आकांक्षी युवा कहती है, उन्हें रोजगार के ठोस अवसर कब मिलेंगे?” उन्होंने यह भी जोड़ा कि प्रदेश प्याज उत्पादन में देश में दूसरे स्थान पर है, लेकिन आज भी फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स का अभाव है।

सांवेर औद्योगिक क्षेत्र का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि वहां पहले जहां 500 से अधिक इकाइयाँ थीं, अब महज 100 बची हैं। “सरकार के पास उद्योगों को जमीन दिलाने का समय है, लेकिन उन्हें चलाने के लिए प्रोत्साहन नहीं है।”

मेडिकल टूरिज्म पर भी सवाल

सिंघार ने कहा कि सरकार IT हब बनाने की बात करती है, लेकिन अब तक किसी बड़ी IT कंपनी ने प्रदेश की ओर रुख नहीं किया। मेडिकल टूरिज्म का हवाला देते हुए उन्होंने कटाक्ष किया कि जब इलाज के लिए लोग दिल्ली-मुंबई जा रहे हैं, तो मध्यप्रदेश का मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर किसका भला कर रहा है?

सरकार को नीति पर मंथन की सलाह

अंत में उन्होंने कहा कि जनता के पैसे से बनाई जा रही सड़कों, पुलों और अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर का लाभ तब तक नहीं होगा जब तक नीति में बदलाव और धरातल पर क्रियान्वयन की ईमानदारी न हो। सिंघार ने दो टूक कहा, “मेकिंग मध्यप्रदेश तब सफल होगा जब उसकी गूंज अखबारों में नहीं, खेतों, कारखानों और नौजवानों के जीवन में सुनाई देगी।”

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