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मंत्री गौर का एक्शन मोड, पटेल नगर कॉलोनाइजर पर दर्ज होगी FIR; स्कूल की जमीन बेचना पड़ा भारी

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Published On: 5 July 2025

भोपाल | राजधानी के रायसेन रोड स्थित पटेल नगर कॉलोनी में स्कूल, पार्क और खेल मैदान जैसे सार्वजनिक उपयोग की जमीन को कॉलोनाइजर द्वारा अवैध रूप से बेचने के मामले में अब कानूनी कार्रवाई की तैयारी शुरू हो गई है। नगर निगम ने कॉलोनाइजर के खिलाफ पिपलानी थाने में एफआईआर दर्ज कराने के लिए आवेदन दिया है। यह कार्रवाई पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री कृष्णा गौर के निर्देश के बाद की गई।

मंत्री गौर को दी गई जानकारी

2 जुलाई को मंत्रालय में आयोजित समीक्षा बैठक में मंत्री गौर को जानकारी दी गई थी कि पटेल नगर कॉलोनी के सेक्टर-बी, डी और ई में कुल 3.75 एकड़ जमीन प्राइमरी स्कूल, पार्क और खेल मैदान के लिए आरक्षित थी। 16 जून 1962 को एसडीएम हुजूर द्वारा जारी डायवर्जन आदेश और नगर निगम से हुए समझौते के अनुसार इस भूमि का स्वामित्व और अधिकार नगर निगम के पास होना था। कॉलोनाइजर को इन भूखंडों को न तो बेचना था और न ही किसी अन्य उपयोग में लेना था। इसके बावजूद, कॉलोनाइजर ने इन भूखंडों को निजी व्यक्तियों को बेच दिया।

नियमों और कानून के विरुद्ध कार्रवाई

नगर निगम के सिटी प्लानर अनूप गोयल द्वारा दी गई शिकायत में बताया गया कि कॉलोनाइजर अनुज ग्रोवर और मेसर्स गंधर्व लैंड एंड फाइनेंस प्राइवेट लिमिटेड ने ई-ब्लॉक स्थित 1.212 एकड़ स्कूल के लिए आरक्षित जमीन को 27 नवंबर 2024 को जय प्रताप सिंह यादव और अभिषेक आनंद नामक व्यक्तियों को 3 करोड़ 90 लाख रुपये में बेच दिया। यह कार्रवाई नियमों और कानून के विरुद्ध है।

दर्ज होगी FIR

मंत्री गौर ने इस कृत्य को गंभीर अपराध मानते हुए नगर निगम अधिकारियों को न केवल एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए, बल्कि संबंधित रजिस्ट्री को शून्य घोषित करने की प्रक्रिया भी तत्काल शुरू करने को कहा है। इसके साथ ही उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि कॉलोनाइजर कॉलोनी के अन्य ओपन एरिया की बिक्री न कर सके, इसकी पुख्ता व्यवस्था की जाए।

कॉलोनी का इतिहास

पटेल नगर कॉलोनी का विकास 1960 के दशक में हुआ था। वर्तमान में यहां 700 से अधिक प्लॉट हैं और बड़ी संख्या में लोग निवास करते हैं। कॉलोनी के मूल लेआउट में स्कूल, पार्क, दवाखाना, और अन्य सार्वजनिक सुविधाओं के लिए स्थान छोड़े गए थे, जिन्हें नगर निगम के अधीन माना गया था। अब इन भूखंडों की अवैध बिक्री से वहां के रहवासियों को मूलभूत सुविधाओं से वंचित होने का खतरा पैदा हो गया है।

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