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MP के बड़े शहर निकले फिसड्डी! बॉटम 10 में एसआईआर डिजिटाइजेशन में भोपाल-इंदौर-ग्वालियर-जबलपुर

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Published On: 23 November 2025

MP के बड़े और विकसित माने जाने वाले जिले भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर इस बार एक चौंकाने वाले कारण से सुर्खियों में हैं। बेहतर सुविधाएं, तकनीकी संसाधन और प्रशासनिक ताकत होने के बावजूद ये चारों जिले एसआईआर (शिफ्टेड एंट्री रजिस्ट्रेशन) के डिजिटाइजेशन में बेहद खराब प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रदेश के कुल 55 जिलों में ये सभी बड़े शहर बॉटम 10 में शामिल हैं, यानी जहां सबसे कम प्रगति दर्ज हुई है।

चुनाव आयोग की कड़ी मॉनिटरिंग और सख्त निर्देशों के बाद भी एसआईआर अपडेट का काम बड़े जिलों में उम्मीद के मुताबिक नहीं बढ़ पा रहा। 27 अक्टूबर तक प्रदेश में कुल 5 करोड़ 74 लाख 6 हजार 143 मतदाता दर्ज हैं, जिनमें से 2 करोड़ 76 लाख 19 हजार 799 वोटर्स के एसआईआर डिटेल अब तक डिजिटाइज नहीं हुए हैं। 22 नवंबर की सुबह तक जारी रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश का कुल डिजिटाइजेशन प्रतिशत केवल 48.11% पर अटका हुआ है।

छोटे जिले निकले आगे?

संभागीय मुख्यालयों की परफॉर्मेंस देखें तो तस्वीर और भी दिलचस्प है। सागर संभाग 46.65% डिजिटाइजेशन के साथ बॉटम श्रेणी से थोड़ा ही ऊपर यानी 11वें स्थान पर है। जबकि रीवा 51.27% के साथ टॉप परफॉर्मिंग जिलों की सूची में 24वें स्थान पर है।

विशेषज्ञों का कहना है कि छोटे जिलों में वोटर्स की संख्या कम होती है, इसलिए फॉर्म वितरण और कलेक्शन का काम तेजी से पूरा हो जाता है। इसके उलट भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर जैसे बड़े शहरों में वोटर संख्या अधिक है, जनसंख्या घनत्व ज्यादा है और कई इलाकों में फॉर्म पहुंच नहीं पा रहे। वहीं, कई जगह फॉर्म तो बांट दिए गए लेकिन उन्हें वापस कलेक्ट करने की व्यवस्था कमजोर रही, जिससे डिजिटाइजेशन का काम अटक गया।

सीईओ ने जताई नाराजगी

स्थिति खराब देखकर मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी संजीव कुमार झा और संयुक्त मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी आरपीएस जादौन ने बुधवार को सभी जिलों के अधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की। बैठक में जिलावार प्रगति की समीक्षा की गई और जिन जिलों का प्रदर्शन बेहद धीमा है, उनसे तत्काल सुधार के निर्देश दिए गए। खासतौर पर भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर के कलेक्टरों को चेतावनी दी गई कि एसआईआर फॉर्म कलेक्शन और डेटा अपडेट की गति बढ़ाई जाए, क्योंकि ये चारों जिले बॉटम 5 में शामिल हैं और चुनाव प्रक्रिया पर सीधा असर डाल सकते हैं।

आयोग ने साफ कर दिया है कि निर्धारित समय सीमा में एसआईआर डिजिटाइजेशन पूरा न होने पर जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई भी हो सकती है। बड़े जिलों की सुस्ती पूरे प्रदेश की रफ्तार को रोक रही है और अब चुनाव आयोग किसी भी तरह की ढिलाई के मूड में नहीं है।

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