भोपाल | मध्य प्रदेश की राजनीति एक बार फिर बयानों की आंच में सुलग उठी है। कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री जीतू पटवारी के उस विवादित बयान ने बवाल खड़ा कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा महिलाएं शराब पीती हैं। पटवारी का यह बयान सामने आते ही भारतीय जनता पार्टी पूरी तरह हमलावर हो गई।
पुतला किया दहन
भोपाल के बोर्ड ऑफिस चौराहे पर भाजपा महिला मोर्चा कार्यकर्ताओं ने पटवारी और राहुल गांधी का संयुक्त रूप से पुतला दहन किया। इस दौरान गुस्साई महिलाओं ने दोनों के पुतलों पर जूते-चप्पल बरसाए और कांग्रेस नेताओं के खिलाफ नारेबाजी की। भाजपा कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह बयान न केवल महिलाओं का अपमान है, बल्कि मध्य प्रदेश की संस्कृति और परंपराओं को बदनाम करने वाला है।
मुख्यमंत्री ने भी इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि कांग्रेस नेता लगातार महिलाओं का अपमान करते आए हैं और पटवारी का बयान इसी कड़ी की एक और कड़ी है। उन्होंने साफ किया कि भाजपा इस अपमान को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं करेगी।
विवादित बयानों का पुराना इतिहास
- यह पहली बार नहीं है जब मध्य प्रदेश की राजनीति महिलाओं को लेकर दिए गए बयानों से गरमाई हो।
- 2018 में दिग्विजय सिंह ने महिलाओं के पहनावे को लेकर टिप्पणी की थी, जिस पर भाजपा ने कड़ा विरोध जताया था।
- 2021 में कमलनाथ ने एक चुनावी सभा में भाजपा की महिला प्रत्याशी पर अपमानजनक टिप्पणी कर दी थी, जिस पर महिला आयोग ने उन्हें नोटिस भेजा था।
- 2022 में भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने युवतियों के जींस-टॉप पहनने पर विवादित बयान दिया था, जिस पर कांग्रेस ने पलटवार किया था।
- 2023 में पूर्व मंत्री विश्वास सारंग ने महिलाओं को ‘ड्रग्स कल्चर’ से जोड़ते हुए कहा था कि आधुनिकता के नाम पर वे गलत दिशा में जा रही हैं।
- 2024 में भाजपा और कांग्रेस के बीच ‘लाड़ली बहना योजना’ पर राजनीतिक बयानबाजी ने महिलाओं को लेकर सियासत को और तूल दिया।
सियासत और महिला मतदाता
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि दोनों ही दलों के लिए महिला मतदाता अहम हैं। ऐसे में कोई भी नेता महिलाओं को लेकर अगर विवादित बयान देता है, तो उसका असर सीधे चुनावी राजनीति पर पड़ता है। यही वजह है कि भाजपा ने जीतू पटवारी के बयान को बड़ा मुद्दा बना दिया है और हर मंच से कांग्रेस पर हमलावर हो रही है।
