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मध्य प्रदेश में SIR प्रक्रिया को लेकर सियासत तेज, कांग्रेस ने उठाए पारदर्शिता पर सवाल

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Published On: 4 November 2025

मध्य प्रदेश में चल रही स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया को लेकर सियासत तेज हो गई है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने इस पूरी प्रक्रिया पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि यह सिर्फ एक प्रशासनिक कवायद नहीं, बल्कि भाजपा और चुनाव आयोग की मिलीभगत से रचा गया षड्यंत्र है। सज्जन सिंह वर्मा का आरोप है कि इस प्रक्रिया के ज़रिए राज्य में दलित, आदिवासी, मजदूर और अल्पसंख्यक वर्ग के मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटाने की तैयारी की जा रही है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ डेटा अपडेट करने की प्रक्रिया नहीं है, बल्कि वोटरों को चुन-चुनकर बाहर करने की साजिश है। जिन तबकों ने भाजपा को नकारा है, उनके नाम हटाने का काम अब सिस्टम के सहारे किया जा रहा है।

वर्मा ने आगे कहा कि बिना किसी तैयारी और जरूरी फॉर्म के अभाव में BLO (बूथ लेवल ऑफिसर्स) को दबाव डालकर काम करवाया जा रहा है। उन्होंने इसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया की पारदर्शिता पर बड़ा सवाल बताया।

दस्तावेजों की जरूरत

उनका कहना है कि कई जिलों में BLO को यह तक नहीं बताया गया कि मतदाता सूची में संशोधन के लिए किन दस्तावेजों की जरूरत है, फिर भी उनसे जल्द काम निपटाने को कहा जा रहा है। पूर्व मंत्री ने कहा कि कांग्रेस इस पूरी प्रक्रिया पर नज़र रख रही है और जल्द ही चुनाव आयोग को औपचारिक नोटिस भेजेगी। उन्होंने सवाल उठाया कि जब तक पूरी तैयारी नहीं है, तब तक इतनी जल्दबाजी में SIR की प्रक्रिया शुरू करने की क्या ज़रूरत थी?

अब चुप नहीं बैठेगी कांग्रेस

वर्मा ने यह भी कहा कि अगर पुराने चुनावों की मतदाता सूचियां देखी जाएं, तो साफ दिखेगा कि पिछली बार भी गरीबों, मजदूरों और अल्पसंख्यक समाज के वोटरों के नाम बड़ी संख्या में हटाए गए थे। उन्होंने इसे सुनियोजित प्रोपेगेंडा बताया और कहा कि इस बार कांग्रेस इस साजिश को जनता के सामने लाएगी। उन्होंने साफ कहा कि कांग्रेस अब चुप नहीं बैठेगी। यह लोकतंत्र और जनता के अधिकारों की लड़ाई है। हम हर स्तर पर संघर्ष करेंगे और इस षड्यंत्र को उजागर करेंगे।

सज्जन सिंह वर्मा का बयान आने के बाद प्रदेश की राजनीति में हलचल मच गई है। कांग्रेस इसे मताधिकार पर हमला बता रही है, तो भाजपा की ओर से अब तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। लेकिन इतना तय है कि SIR प्रक्रिया को लेकर अब विवाद और भी गरमाने वाला है।

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