भोपाल | प्रदेश के उप मुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने शुक्रवार को कहा कि भाषाई बंधन कभी भी प्रतिभा की राह में बाधा नहीं बनना चाहिए, इसी सोच के साथ मध्यप्रदेश सरकार ने चिकित्सा शिक्षा सहित कई उच्च शिक्षण पाठ्यक्रमों में मातृभाषा हिंदी में अध्ययन की व्यवस्था लागू की है। सरकार की इस पहल से अब मेडिकल क्षेत्र में अध्ययनरत हिंदी माध्यम के छात्रों को विशेष प्रोत्साहन मिलेगा।
हिंदी माध्यम से एमबीबीएस और बीडीएस पाठ्यक्रमों में अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों को अब विश्वविद्यालय परीक्षाओं में हिंदी में उत्तर लिखने पर परीक्षा शुल्क में 50 प्रतिशत की छूट दी जाएगी। साथ ही, विश्वविद्यालय स्तर की मेरिट सूची में स्थान प्राप्त करने वाले छात्रों को 2 लाख रुपए तक के नकद पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा।
क्षमता को मिलेगी पहचान
उपमुख्यमंत्री श्री शुक्ल ने बताया कि यह पहल प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के ‘सर्वसमावेशी शिक्षा’ के दृष्टिकोण और गृह मंत्री श्री अमित शाह की मातृभाषा आधारित शिक्षा के संकल्प से प्रेरित है। उन्होंने कहा, “यह केवल एक योजना नहीं, बल्कि हिंदी माध्यम में अध्ययन करने वाले छात्रों के स्वाभिमान और उनकी क्षमता को पहचान देने का प्रयास है।”
MP होगा पहला राज्य
मध्यप्रदेश देश का पहला राज्य है, जहाँ हिंदी में एमबीबीएस पाठ्यक्रम आरंभ किया गया। वर्तमान में सभी शासकीय मेडिकल कॉलेजों में प्रथम वर्ष से लेकर अंतिम वर्ष तक हिंदी में पाठ्यपुस्तकें उपलब्ध हैं। इसके अलावा, परीक्षाओं, प्रायोगिक कक्षाओं और शिक्षण व्यवस्था में हिंदी माध्यम के लिए आवश्यक संसाधन मुहैया कराए जा रहे हैं।
समाधान कक्षाओं का आयोजन
मध्यप्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय, जबलपुर द्वारा सभी संबद्ध मेडिकल एवं डेंटल कॉलेजों को निर्देश दिए गए हैं कि वे हिंदी में परीक्षा देने वाले छात्रों को सुविधाएं दें। परीक्षा में स्वेच्छा से हिंदी माध्यम अपनाने वाले विद्यार्थियों की सूची विश्वविद्यालय को भेजनी होगी। साथ ही, ऐसे विद्यार्थियों के लिए हिंदी भाषी परीक्षकों की व्यवस्था, विशेष प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षक और आवश्यकता पड़ने पर समाधान कक्षाओं का भी आयोजन किया जाएगा।
इनाम और सम्मान की योजना
- प्रथम स्थान: ₹2 लाख
- द्वितीय स्थान: ₹1.5 लाख
- तृतीय स्थान: ₹1 लाख
- चतुर्थ स्थान: ₹50 हजार
प्रत्येक वर्ष/प्रोफेशन की मेरिट में (हिंदी माध्यम)
- प्रथम स्थान: ₹1 लाख
- द्वितीय: ₹75 हजार
- तृतीय: ₹50 हजार
- चतुर्थ: ₹25 हजार
इस पहल से प्रदेश के ग्रामीण, अर्ध-शहरी और हिंदीभाषी क्षेत्र के विद्यार्थियों को उच्च गुणवत्ता की चिकित्सा शिक्षा अपनी मातृभाषा में प्राप्त करने का अवसर मिलेगा, जिससे वे देश की स्वास्थ्य सेवाओं में प्रभावी भूमिका निभा सकें।
