मध्य प्रदेश की राजधानी में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी की अगुवाई में बुधवार को किसानों के साथ किया गया प्रदर्शन अब कानूनी पचड़े में फंस गया है। टीटी नगर पुलिस ने बिना अनुमति धरना-प्रदर्शन करने और शांति भंग करने के आरोप में जीतू पटवारी, कांग्रेस नेता मुकेश नायक और अन्य कार्यकर्ताओं के खिलाफ FIR दर्ज की है।
दरअसल, बुधवार दोपहर जीतू पटवारी सैकड़ों किसानों के साथ राजधानी के टीटी नगर इलाके में स्थित केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के सरकारी आवास के बाहर पहुंच गए थे। प्रदर्शनकारियों के हाथों में गेहूं की बोरियां थीं और वे सरकार के खिलाफ नारे लगा रहे थे। पटवारी ने कहा था कि किसानों को “भावांतर नहीं, भाव चाहिए” और सरकार केवल घोषणाओं में किसानों को बहला रही है, जबकि असल मदद नहीं मिल रही।
प्रशासन से नहीं ली अनुमति
सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस नेताओं ने इस प्रदर्शन के लिए प्रशासन से कोई अनुमति नहीं ली थी। बिना पूर्व सूचना के इतने बड़े समूह के पहुंचने से बंगले के बाहर कुछ देर अफरा-तफरी का माहौल बन गया। पुलिस ने तत्काल सुरक्षा बढ़ाई और प्रदर्शनकारियों को समझाकर वहां से हटाया।
सत्ता भले ही चुप हो जाए,
मैं अपने खून की अंतिम बूंद तक लडूंगा! pic.twitter.com/4lpovbWsOm— MP Congress (@INCMP) October 15, 2025
टीटी नगर थाना प्रभारी ने बताया कि सार्वजनिक स्थान पर बिना अनुमति भीड़ इकट्ठा करने और यातायात बाधित करने के आरोप में आईपीसी की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। FIR में जीतू पटवारी और कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष मुकेश नायक के नाम प्रमुख रूप से शामिल हैं। पुलिस ने वीडियो फुटेज और फोटोग्राफिक साक्ष्य जुटाए हैं, जिनके आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
केंद्र सरकार पर तीखा प्रहार
प्रदर्शन के दौरान पटवारी ने केंद्र सरकार पर तीखा प्रहार किया था। उन्होंने कहा था कि किसानों को समर्थन मूल्य नहीं मिल रहा, फसलों के दाम घट रहे हैं और सरकार किसानों की कमर तोड़ने पर तुली है। उन्होंने मांग की थी कि धान का भाव 3100 रुपये, गेहूं का 2700 रुपये और सोयाबीन का 6000 रुपये प्रति क्विंटल तय किया जाए।
कांग्रेस ने कही ये बात
इधर, पुलिस का कहना है कि किसी भी नागरिक या संगठन को विरोध दर्ज कराने का अधिकार है, लेकिन इसके लिए प्रशासनिक अनुमति आवश्यक होती है। बिना अनुमति प्रदर्शन करना कानून का उल्लंघन है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि उनका प्रदर्शन पूरी तरह शांतिपूर्ण था और किसानों की आवाज उठाने के लिए किया गया था। अब पुलिस की कार्रवाई के बाद यह मामला राजनीतिक रंग ले चुका है।
