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चीता परियोजना की जानकारी रोकने पर राज्य सूचना आयोग सख्त, PCCF वाइल्ड लाइफ शुभ रंजन सेन को 12 दिसंबर को तलब

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Published On: 2 December 2025

कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चल रही बहुचर्चित चीता परियोजना को लेकर उठे विवाद पर राज्य सूचना आयोग ने कड़ा रुख अपनाया है। आयोग ने प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) शुभ रंजन सेन को नोटिस जारी करते हुए 12 दिसंबर को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया है। मुख्य सूचना आयुक्त विजय यादव ने निर्देश दिया है कि सेन अपने फैसले का विस्तृत स्पष्टीकरण आयोग के सामने रखें।

यह मामला वन्यजीव और आरटीआई कार्यकर्ता अजय दुबे की ओर से दाखिल की गई शिकायत के बाद सामने आया। दुबे ने जुलाई 2024 में आरटीआई दायर कर चीता परियोजना के बजट, प्रबंधन और कार्यान्वयन से जुड़े बिंदुओं की जानकारी मांगी थी। आवेदन का जवाब लोक सूचना अधिकारी सौरभ काबरा को देना था, लेकिन पीसीसीएफ सेन ने लिखित आदेश जारी कर पूरी सूचना देने से इंकार कर दिया।

धारा 8(1)(a) का संदर्भ

सेन पर आरोप है कि उन्होंने आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(a) का हवाला देते हुए पीआईओ को सूचना रोकने का निर्देश दिया। यह धारा उन स्थितियों में लागू होती है जब जानकारी देने से देश की संप्रभुता, सुरक्षा, रणनीतिक हित या विदेश संबंध प्रभावित होते हों। आयोग ने इस पर गंभीर सवाल उठाए हैं कि चीता संरक्षण परियोजना से जुड़ी सामान्य प्रशासनिक और वित्तीय जानकारी को राष्ट्रीय सुरक्षा का विषय कैसे माना गया।

मुआवजे की मांग

आरटीआई कार्यकर्ता अजय दुबे ने आरोप लगाया कि वन विभाग के शीर्ष अधिकारी जानबूझकर परियोजना के सार्वजनिक डेटा को छिपा रहे हैं। दुबे का कहना है कि यह आरटीआई कानून के दुरुपयोग का स्पष्ट मामला है और इससे पारदर्शिता पर असर पड़ता है। उन्होंने आयोग से मांग की है कि सेन पर जुर्माना लगाया जाए, विभागीय जांच हो और जानकारी रोकने से हुए नुकसान के लिए मुआवजा भी दिया जाए।

मृत्यु के बढ़ते मामलों

कूनो में अफ्रीकी चीतों के पुनर्वास को लेकर परियोजना पिछले कई महीनों से चर्चा में रही है। कई चीतों की मौत के बाद परियोजना की पारदर्शिता और प्रबंधन को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं। अब जानकारी रोकने का नया विवाद उस बहस को और गहरा कर रहा है कि क्या परियोजना की वास्तविक स्थिति जनता से छिपाई जा रही है। राज्य सूचना आयोग की आगामी सुनवाई अब बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। आयोग यह भी देखेगा कि क्या जानकारी रोकने का निर्णय विधिसंगत था या फिर इसे नियमों के विपरीत अपनाया गया। आयोग की कार्रवाई वन विभाग और चीता परियोजना की कार्यप्रणाली पर सीधा प्रभाव डाल सकती है।

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