मध्य प्रदेश की सियासत में एक बार फिर तूफान खड़ा हो गया है। कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष जीतू पटवारी पर नगर पुलिस अधीक्षक (सीएसपी) डीपी चौहान को धमकाने का आरोप लगा है। बताया जा रहा है कि पटवारी ने चौहान से कहा कि सांसद के खिलाफ बिना जांच मुकदमा दर्ज करो, नहीं तो 50 हजार लोगों को लेकर आऊंगा और विधानसभा में तुम्हारे खिलाफ कार्रवाई करवाऊंगा। इस कथित धमकी के बाद पुलिस विभाग और राजनीतिक हलकों में खलबली मच गई है। मामला केवल धमकी तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि इसके पीछे एक और बड़ा ड्रामा भी सामने आया है।
वायरल हुआ आवेदन
घटना की शुरुआत तब हुई जब कांग्रेस जिलाध्यक्ष और विधायक सिद्धार्थ कुशवाहा ने मीडिया के सामने दावा किया कि पार्टी कार्यकर्ता गणेश कुशवाहा का अपहरण कर लिया गया है। इसके बाद माहौल गर्मा गया और पार्टी नेताओं ने इस मुद्दे पर खूब बयानबाजी शुरू कर दी, लेकिन कहानी में मोड़ तब आया जब गणेश कुशवाहा का खुद का लिखा छुट्टी का आवेदन पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। इस चिट्ठी में उन्होंने साफ लिखा था कि वे अपनी मर्जी से छुट्टी पर जा रहे हैं। इसके बाद अपहरण का पूरा दावा झूठा साबित होता दिखा और लोग सोशल मीडिया पर कांग्रेस नेताओं को ट्रोल करने लगे।
राजनीतिक सियासत गरमाई
अब यह पूरा मामला कांग्रेस के लिए असहज स्थिति पैदा कर गया है। बीजेपी ने इसे कांग्रेस की “ड्रामा पॉलिटिक्स” बताया है और कहा कि विपक्ष जब जनता से जुड़ नहीं पा रहा, तो झूठ और धमकियों का सहारा ले रहा है। वहीं, कांग्रेस नेताओं का कहना है कि पुलिस प्रशासन सत्ताधारी दल के दबाव में काम कर रहा है और विपक्ष की आवाज दबाने की कोशिश हो रही है।
क्या बोले जानकार?
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यह विवाद सिर्फ धमकी या झूठे अपहरण तक सीमित नहीं है, बल्कि यह सत्ता और विपक्ष के बीच बढ़ती तल्खी का संकेत है। सोशल मीडिया पर भी लोग इसे “राजनीतिक नौटंकी” और “जनता को गुमराह करने की कोशिश” बता रहे हैं।
