MP में मतदाता सूची के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को लेकर अब सियासत भी गरमा गई है। इस बार सरकार ने जिस तरह से बड़ी संख्या में शिक्षकों को बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) की ड्यूटी में तैनात किया है, उसने विपक्ष को हमलावर होने का मौका दे दिया है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने इसे शिक्षा व्यवस्था के साथ खिलवाड़ बताया है। चुनाव आयोग के निर्देश पर 4 नवंबर से राज्य में SIR की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इस दौरान 65 हजार बीएलओ घर-घर जाकर वोटर्स की जानकारी जुटाएंगे। यह अभियान 4 दिसंबर तक चलेगा, और इसका अंतिम प्रकाशन 7 फरवरी 2026 को होना है। हैरानी की बात यह है कि इन 65 हजार बीएलओ में से 15 हजार से ज्यादा शिक्षक हैं।
उमंग सिंघार ने सवाल उठाया कि जब प्रदेश के हजारों स्कूल पहले से ही शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं, तो ऐसे में टीचर्स को चुनावी काम में क्यों लगाया जा रहा है? उन्होंने कहा, “राज्य के करीब 6 हजार स्कूल ऐसे हैं जहां सिर्फ एक या दो शिक्षक हैं और अब उनमें से भी आधे SIR ड्यूटी में भेज दिए गए हैं। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई कौन करेगा? क्या स्कूलों में ताला लगा रहेगा?”
दी चेतावनी
उन्होंने यह भी बताया कि कई जगह तो प्राचार्य और प्रभारी प्राचार्य को ही इस काम में लगा दिया गया है। इतना ही नहीं, जिन शिक्षकों की ड्यूटी बारहवीं कक्षा में गणित या साइंस पढ़ाने की है, उन्हें भी बीएलओ बना दिया गया है। “यह न सिर्फ गलत है, बल्कि नियमों के खिलाफ भी है,” सिंघार ने कहा। नेता प्रतिपक्ष ने चेतावनी देते हुए कहा कि बोर्ड परीक्षाओं से पहले शिक्षकों को ऐसी गैर-शैक्षणिक ड्यूटी में झोंकना बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। 7 फरवरी को जब एसआईआर की प्रक्रिया खत्म होगी, उसी दिन एमपी बोर्ड की परीक्षाएं शुरू हो रही हैं। सोचिए, जिन बच्चों को अभी पढ़ाई की सबसे ज्यादा जरूरत है, उनके शिक्षक तो फॉर्म भरवाने में लगे रहेंगे।
शिक्षकों की तैनाती कर दी गई है। कई ऐसे शिक्षक हैं जिनकी मानसिकता आरएसएस की है,जिनका एजेंडा रहेगा अगर कोई नाम कांग्रेस का है, किसी वर्ग या समाज का है, तो उसका नाम काटना।
कई हजार स्कूल ऐसे हैं जिनमें केवल एक शिक्षक है, जबकि 15 शिक्षकों की ड्यूटी लगाई गई है। 7 फरवरी के आसपास बोर्ड… pic.twitter.com/x9ec0RARvy
— Umang Singhar (@UmangSinghar) November 8, 2025
सजा देना अन्याय
नीमच जिले में तो पांच शिक्षकों को निलंबित भी कर दिया गया क्योंकि वे स्कूल पढ़ाने चले गए थे और BLO का काम नहीं कर पाए। इस पर सिंघार ने कहा कि सरकार को समझना चाहिए कि शिक्षक पहले गुरु हैं, फिर कर्मचारी। उन्हें सजा देना अन्याय है। उन्होंने सरकार से मांग की कि शिक्षकों को तत्काल एसआईआर ड्यूटी से मुक्त किया जाए और इस काम के लिए अन्य विभागों के कर्मचारियों की मदद ली जाए, ताकि बच्चों की पढ़ाई पर कोई असर न पड़े।
