भोपाल, MP News | बैरसिया के पास के छोटे से गांव गुनगा की ज्योति लोधी ने यह साबित कर दिया है कि अगर मन में कुछ कर दिखाने की चाह हो और सरकारी योजनाओं का सही इस्तेमाल किया जाए, तो कोई भी महिला आत्मनिर्भर बन सकती है। एक समय था जब ज्योति साधारण जिंदगी जी रही थीं, लेकिन आज वो न सिर्फ जनरल स्टोर चला रही हैं, बल्कि ‘बैंक सखी’ बनकर गांव की महिलाओं की भी मदद कर रही हैं।
ग्राहकों की संख्या में बढ़ोतरी
ज्योति ने सबसे पहले प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत, इंडियन बैंक से ₹1 लाख का लोन लिया। इससे उन्होंने गांव में किराने की दुकान खोली। कारोबार बढ़ा तो आजीविका मिशन से जुड़े स्वयं सहायता समूह के ज़रिए ₹50,000 और मिले। इससे न सिर्फ उनका स्टोर बड़ा हुआ, बल्कि ग्राहकों की संख्या भी बढ़ी।
बैंक सखी के रुप में किया काम
इसके साथ ही, ज्योति ने ‘बैंक सखी’ के तौर पर काम शुरू किया। अब वो गांव वालों को उनके घर पर ही बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध कराती हैं, जैसे फॉर्म भरना, जरूरी दस्तावेज़ों की फोटो कॉपी करवाना और योजनाओं की जानकारी देना। आज उनकी हर महीने की आमदनी करीब ₹13,000 से ₹14,000 तक हो चुकी है।
ज्योति ने कही ये बात
ज्योति खुद कहती हैं, “अगर सरकार की योजनाओं को समय पर अपनाया जाए और खुद पर भरोसा हो, तो कोई भी बदलाव नामुमकिन नहीं है।” आज ज्योति सिर्फ खुद ही आत्मनिर्भर नहीं बनी हैं, बल्कि अपने आत्मविश्वास और मेहनत से पूरे गांव की महिलाओं के लिए एक नई राह बन गई हैं। उनका सफर यह दिखाता है कि मजबूत इरादे और थोड़ी सी मदद से कोई भी महिला अपना और दूसरों का जीवन संवार सकती है।
