कांग्रेस विधायक राजेंद्र भारती को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। शीर्ष अदालत ने बुधवार को आदेश दिया कि ग्वालियर की एमपी-एमएलए कोर्ट में चल रहा धोखाधड़ी का पुराना मामला अब दिल्ली की अदालत में ट्रांसफर किया जाएगा। यानी अब इस केस की सुनवाई और फैसला दिल्ली में होगा।
राजेंद्र भारती ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि इस मामले में पूर्व गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा और उनके परिवार के सदस्य राजनीतिक दबाव बनाकर ट्रायल को प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं।
राजनीतिक दबाव
भारती ने यह भी कहा था कि जिला अभियोजन अधिकारी प्रवीण दीक्षित और अभियोजन अधिकारी अभिषेक मल्होत्रा भी मिश्रा के दबाव में काम कर रहे हैं। इसलिए, उन्होंने कोर्ट से मांग की थी कि केस को मध्यप्रदेश से बाहर ट्रांसफर किया जाए ताकि निष्पक्ष सुनवाई हो सके।
यह मामला जिला सहकारी केंद्रीय बैंक से जुड़ा है। राजेंद्र भारती का कहना है कि उन्होंने अपनी मां के नाम बैंक में 10.50 लाख रुपए की एफडी तीन साल की अवधि के लिए जमा कराई थी, जिस पर 13.50% ब्याज तय हुआ था।
रोकी सुनवाई
आरोप है कि बाद में बैंक ने एफडी की अवधि काट-छांट कर 15 साल कर दी। इसी को लेकर बैंक कर्मचारी नरेंद्र सिंह ने कोर्ट में परिवाद दायर किया था, जिस पर कोर्ट ने धोखाधड़ी का प्रकरण दर्ज कर लिया था। मामला ग्वालियर की एमपी-एमएलए कोर्ट में चल रहा था, जहां यह बचाव पक्ष की गवाही के चरण में पहुंच चुका था।
सुप्रीम कोर्ट ने भेजे नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने विधायक के आरोपों को गंभीर मानते हुए अभियोजन अधिकारियों को नोटिस जारी किए थे और केस की ट्रायल प्रक्रिया पर अस्थायी रोक लगा दी थी। अब सुनवाई पूरी होने के बाद अदालत ने केस को दिल्ली ट्रांसफर करने का आदेश दे दिया है।
सुनवाई के बाद विधायक राजेंद्र भारती ने कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोप झूठे और राजनीतिक षड्यंत्र का हिस्सा हैं। उन्होंने बताया कि 6 जनवरी 1996 को जारी बैंक के सर्कुलर के तहत एफडी की अवधि बढ़ाई जा सकती है और उनकी एफडी उसी नियम के तहत बढ़ाई गई थी।
अब आगे क्या होगा?
भारती ने यह भी कहा कि एफडी की राशि आज भी बैंक में जमा है और अब तक बैंक ने भुगतान नहीं किया है। उन्होंने भरोसा जताया कि दिल्ली की अदालत में उन्हें न्याय मिलेगा और सच्चाई सामने आएगी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अब यह मामला दिल्ली की अदालत में ट्रांसफर होकर वहीं सुना जाएगा। आने वाले हफ्तों में अदालत नई तारीख तय करेगी और केस की सुनवाई शुरू होगी।