ग्वालियर | शादी का झांसा देकर दुष्कर्म के आरोप में घिरे पूर्व तहसीलदार शत्रुघ्न सिंह चौहान को जिला अदालत से जमानत मिल गई है। 3 दिन पहले अदालत में सरेंडर करने वाले आरोपी पर 2008 से 2025 तक महिला को पत्नी की तरह रखकर शारीरिक शोषण करने का गंभीर आरोप है।
अदालत ने शुक्रवार को जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पेश किए गए दस्तावेज़ों और तथ्यों के आधार पर उन्हें अभी हिरासत में रखने का औचित्य नहीं बनता।
ये है पूरा मामला
15 जनवरी 2025 को महिला थाने में FIR दर्ज हुई थी। आरोप है कि शादी का झांसा देकर लगातार 17 साल तक यौन शोषण, झूठी शादी और बच्चे के जन्म के बाद पहचान से इनकार कर दिया है। आरोपी तहसीलदार पर ₹5000 का इनाम भी घोषित किया गया था। FIR के बाद चौहान ने सत्र अदालत, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक से अग्रिम जमानत मांगी, लेकिन हर जगह से निराशा मिली। इसके बाद, 1 जुलाई 2025 को आरोपी ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया था।
पीड़िता की आपबीती
पीड़िता ने आरोप लगाया है कि 2008 में तहसीलदार ने उसके जेठ से मिलीभगत कर मानगढ़ गांव में ज़बरदस्ती संबंध बनाए। फिर लगातार पोस्टिंग के दौरान महिला को साथ रखकर नायब तहसीलदार से लेकर तहसीलदार बनने तक संबंध बनाए रखे। 2010 में रतनगढ़ माता मंदिर में सिंदूर भरकर ‘शादी का ढोंग’ किया गया। इसके बाद, 2014 में एक बच्चे का जन्म हुआ, जिसे महिला ने तहसीलदार का बेटा बताया है। जब महिला को पता चला कि चौहान पहले से 3 पत्नियों के पति हैं, तब जाकर विवाद हुआ और केस दर्ज किया गया।
फरारी में ‘धार्मिक यात्रा’
- पूछताछ में आरोपी ने बताया कि वह FIR दर्ज होने के बाद धार्मिक यात्राओं पर चला गया था।
- फरवरी 2025 में प्रयागराज कुंभ में शामिल हुआ।
- फिर चारधाम यात्रा की- बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री गया।
- उसका कहना है कि मन को शांत रखने के लिए वह इन यात्राओं पर निकला था।
- बीच-बीच में कोर्ट में जमानत के लिए आवेदन करता रहा।
जमानत के लिए ये तर्क दिए गए
- पीड़िता 2020 तक किसी और की पत्नी थी, और बच्चे के पितृत्व को लेकर सवाल हैं।
- शादी का दावा साबित नहीं हो सका है।
- अब तक की जांच में कोई ठोस मेडिकल या फॉरेंसिक एविडेंस सामने नहीं आया।
- पुलिस पूछताछ पूरी कर चुकी है, इसलिए रिमांड की जरूरत नहीं।
- कोर्ट ने इन्हीं तर्कों के आधार पर जमानत मंजूर कर ली।
फिलहाल क्या स्थिति है?
पूर्व तहसीलदार चौहान को नियमित सुनवाई के लिए कोर्ट में हाज़िर रहना होगा। पुलिस ने कहा है कि जांच पूरी हो चुकी है, चार्जशीट तैयार की जा रही है। हालांकि, पीड़िता के वकील का कहना है कि वह इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे।