राम मंदिर निर्माण से जुड़े चंदा संग्रह विवाद पर दायर जनहित याचिका की सुनवाई में गुरुवार को पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह इंदौर हाईकोर्ट पहुंचे। सुनवाई शुरू होने से पहले उन्होंने अदालत में कहा कि लाइव स्ट्रीमिंग का दुरुपयोग हो रहा है, इसलिए इसे रोका जाना चाहिए। कोर्ट ने उनकी बात मानते हुए तुरंत लाइव स्ट्रीमिंग बंद करवा दी। इस मामले में पिछली सुनवाई 10 नवंबर को हुई थी। तब दिग्विजय सिंह के वकील ने हाईकोर्ट से कहा था कि सिंह भी व्यक्तिगत तौर पर कुछ तथ्य रखना चाहते हैं। कोर्ट ने उन्हें 27 नवंबर को उपस्थित होने की अनुमति दी थी। इससे पहले भी वे एक सुनवाई में पहुंचे थे, लेकिन अपनी बात नहीं रख पाए थे।
आधा घंटे चली बहस
सुनवाई करीब आधा घंटे चली। इस दौरान सिंह ने कहा कि वे राम मंदिर निर्माण के पवित्र कार्य का सम्मान करते हैं, लेकिन चंदा संग्रह बिल्कुल स्वैच्छिक होना चाहिए। उनके मुताबिक कई जगह अल्पसंख्यक समुदाय पर दबाव बनाया गया और दान न देने पर डराया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ संगठनों ने चंदा रैलियों की आड़ में हिंसा फैलाने की कोशिश की, लेकिन प्रशासन ने समय रहते कोई कदम नहीं उठाया।
तनाव फैलाने का आरोप
याचिका में कहा गया है कि चंदा संग्रह के दौरान इंदौर, उज्जैन और मंदसौर जैसे जिलों में तनाव की घटनाएं हुईं। इससे सामाजिक सौहार्द को नुकसान हुआ और लोगों की संपत्तियों को भी हानि पहुंची। सिंह ने कहा कि इस बारे में सरकार और पुलिस को जानकारी दी गई थी, लेकिन किसी स्तर पर प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई।
हाईकोर्ट से अपील
- मॉब लिंचिंग और भीड़ हिंसा पर कड़ी कार्रवाई।
- धार्मिक रैलियों में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए कड़े इंतज़ाम।
- हर जिले में नोडल अधिकारी और टास्क फोर्स तैनात की जाए, जो हेट स्पीच और संवेदनशील गतिविधियों पर नजर रखें।
- सरकार सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइनों के पालन की स्टेटस रिपोर्ट अदालत में पेश करे।
2021 में दायर की थी जनहित याचिका
यह याचिका दिग्विजय सिंह ने 2021 में डबल बेंच के सामने लगाई थी। उनका कहना है कि देशभर में चंदा संग्रह के दौरान कई जगह सांप्रदायिक तनाव की घटनाएं सामने आईं। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन होने के बावजूद सरकार और पुलिस इन घटनाओं को रोकने में नाकाम रहीं। जानकारी के अनुसार, 5 साल पहले दिग्विजय सिंह ने राम मंदिर निर्माण के लिए 1,11,111 रुपए का चेक श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट को भेजा था। उन्होंने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर यह भी कहा था कि चंदा अभियान शांतिपूर्ण माहौल में चलाया जाए और ट्रस्ट अपने पुराने चंदे का ब्यौरा सार्वजनिक करे।
