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इंदौर में दुकानों से मुस्लिम कर्मचारियों को हटाने के मामले पर दिग्विजय सिंह की सख्त नाराजगी, CM यादव को लिखी चिट्‌ठी

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Published On: 5 October 2025

मध्यप्रदेश के इंदौर में शीतला माता मार्केट इलाके में दुकानों से मुस्लिम कर्मचारियों को हटाने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। इस पूरे घटनाक्रम को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री मोहन यादव को एक चिट्‌ठी लिखी है। उन्होंने कहा है कि पुलिस भाजपा नेताओं के दबाव में आकर कार्रवाई नहीं कर रही है। दिग्विजय ने यह भी चेतावनी दी है कि अगर 6 अक्टूबर तक पुलिस ने कोई कदम नहीं उठाया, तो वे अदालत का दरवाजा खटखटाएंगे।

लिखी चिट्ठी

दिग्विजय सिंह ने अपनी चिट्‌ठी में लिखा है कि अगस्त के आखिरी सप्ताह में भाजपा नेता और पूर्व मंत्री स्व. लक्ष्मण सिंह गौड़ के बेटे एकलव्य गौड़ ने शीतला माता मार्केट में व्यापारियों की बैठक बुलाकर कहा था कि दुकानों पर काम करने वाले मुस्लिम कर्मचारियों को तुरंत हटा दिया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि मुस्लिम व्यापारी अपनी दुकानें खाली करें। दिग्विजय के मुताबिक, इस फरमान के बाद कई दुकानदारों ने मुस्लिम सेल्समैनों को काम से निकाल दिया।

लव जिहाद

पूर्व सीएम ने कहा कि इंदौर कपड़ा व्यापारी संघ के अध्यक्ष हेमा पंजवानी ने खुद माना है कि एकलव्य गौड़ के निर्देश के बाद कई कर्मचारियों को हटाया गया। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा नेता इन कर्मचारियों पर “लव जिहाद” फैलाने का झूठा आरोप लगा रहे हैं, जबकि पुलिस के पास इस तरह की कोई शिकायत दर्ज नहीं है।

दिग्विजय सिंह ने लिखा कि यह बेहद शर्मनाक है कि मुख्यमंत्री स्वयं इंदौर जिले के प्रभारी मंत्री हैं, फिर भी उनके जिले में इस तरह की नफरत फैलाने वाली घटना हो रही है। उन्होंने कहा कि पुलिस “देशभक्ति और जनसेवा” का नारा लगाने के बावजूद असामाजिक तत्वों के आगे बेबस नजर आ रही है।

पीड़ित व्यापारियों से मुलाकात

उन्होंने बताया कि वे 27 सितंबर को खुद इंदौर पहुंचे थे और पीड़ित व्यापारियों से मुलाकात की थी, लेकिन जब उन्होंने शीतला माता मंदिर बाजार जाने की कोशिश की, तो पुलिस ने उन्हें रोक दिया। बाद में जब उन्होंने थाने में अधिकारियों से बात की, तो उन्हें बताया गया कि जांच 6 अक्टूबर तक पूरी होगी।

चिट्ठी में दिग्विजय ने सीएम से आग्रह किया है कि वे पुलिस को निर्देश दें कि भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 152, 196, 197, 293, 299 सहित अन्य धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया जाए। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने कदम नहीं उठाया, तो वे पीड़ितों के साथ न्याय पाने के लिए अदालत में याचिका दायर करेंगे।

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