MP की राजनीति में इन दिनों एक वीडियो ने खूब हलचल मचा दी है। यह वीडियो किसी विपक्षी नेता का नहीं, बल्कि इंदौर के भाजपा महापौर पुष्यमित्र भार्गव के बेटे संघमित्र भार्गव का है। दरअसल, वाद-विवाद प्रतियोगिता के मंच से संघमित्र ने केंद्र सरकार की नीतियों और वादों पर सीधा हमला बोला। चौंकाने वाली बात यह रही कि जब यह भाषण हो रहा था, तब मंच पर मुख्यमंत्री, मंत्री और बड़े स्पीकर भी मौजूद थे। दर्शकों ने संघमित्र की बेबाकी पर जमकर तालियां बजाईं और वीडियो देखते ही देखते सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
कही ये बात
संघमित्र भार्गव ने अपने भाषण में अच्छे दिन आने वाले हैं और सबका साथ, सबका विकास जैसे नारों को घेरा। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि देश की हालत देखकर जनता खुद सवाल पूछ रही है कि अच्छे दिन आखिर कब आएंगे। बेरोजगारी, महंगाई और किसानों की समस्याओं पर बोलते हुए संघमित्र ने साफ कहा कि आम जनता को राहत देने के दावे सिर्फ कागजों पर नजर आते हैं।
युवक ने अपने भाषण में देश की दिशा और दशा पर भी चिंता जताई। उनका कहना था कि जनता की पीड़ा को सुनने और समझने के बजाय सरकार दिखावे में ज्यादा उलझी रहती है। उनके इस क्रांतिकारी अंदाज को सुनकर कार्यक्रम में मौजूद लोगों ने जोरदार तालियां बजाकर समर्थन दिया।
पार्टी पर उठे सवाल
यह भी खास है कि यह भाषण किसी विपक्षी मंच से नहीं, बल्कि एक सार्वजनिक प्रतियोगिता का हिस्सा था, जिसमें संघमित्र विजेता भी बने। यानी महापौर के बेटे ने अपनी अलग पहचान बनाने की कोशिश करते हुए सत्ता से सवाल पूछने का साहस दिखाया।
अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि इस बयान का असर पार्टी के भीतर क्या होगा। भाजपा के लिए यह मामला असहज जरूर है क्योंकि अपने ही नेता के बेटे ने मंच से सरकार की नीतियों पर सवाल खड़े कर दिए। हालांकि, अभी तक न तो पार्टी की ओर से और न ही महापौर पुष्यमित्र भार्गव की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया आई है।
वीडियो हो रहा वायरल
राजनीतिक जानकार मानते हैं कि संघमित्र का यह भाषण भाजपा संगठन के लिए आत्मचिंतन का मौका है। किसी तरह की कार्रवाई करने के बजाय अगर सरकार इस तरह की आवाजों को सुनकर सुधार की दिशा में कदम बढ़ाए तो यह जनता के हक में भी होगा और पार्टी के लिए भी बेहतर साबित होगा।
सोशल मीडिया पर यह वीडियो लगातार शेयर हो रहा है और लोग इसे युवाओं की असली आवाज बता रहे हैं। अब देखना होगा कि इस बयान का असर पार्टी की अंदरूनी राजनीति और इंदौर की सियासत पर किस तरह पड़ता है।
