नई दिल्ली | कपास उत्पादकता बढ़ाने और गुणवत्ता सुधारने को लेकर गुरुवार को कोयम्बटूर में केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में अहम बैठक हुई। बैठक में कपड़ा मंत्री गिरिराज सिंह भी मौजूद रहे। बैठक में हरियाणा, महाराष्ट्र सहित कई राज्यों के कृषि मंत्री, कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपति, वैज्ञानिक, किसान और उद्योग प्रतिनिधि शामिल हुए। चर्चा का केंद्र कपास की गुणवत्ता, उत्पादकता और भविष्य की रणनीति रहा।
शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि रोटी के बाद कपड़ा सबसे जरूरी चीज है और कपड़ा कपास से बनता है। इसलिए किसान और कपास, दोनों का हित सर्वोपरि है।
चिंता का विषय
उन्होंने कहा कि कपास की उत्पादकता में कमी चिंता का विषय है। वायरस अटैक से बीटी कॉटन किस्में प्रभावित हो रही हैं। वैज्ञानिकों को वायरस प्रतिरोधी उन्नत बीज विकसित करना होगा। उन्नत बीज समय पर किसानों तक पहुंचे, इसके लिए वैज्ञानिक और प्रशासन मिलकर प्रयास करें। सिर्फ बीज विकसित करना काफी नहीं, वितरण तंत्र भी मजबूत होना चाहिए।
दोनों पक्षों के हितों का संतुलन जरूरी
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आयात शुल्क हटाने की मांग पर उद्योग और किसान, दोनों पक्षों के हितों का संतुलन जरूरी है। किसानों की कीमत प्रभावित न हो, इसका ध्यान रखा जाएगा। बैठक में ‘टीम कॉटन’ के गठन की घोषणा की गई। इसमें कृषि मंत्रालय, कपड़ा मंत्रालय, आईसीएआर, राज्य सरकारें, किसान, वैज्ञानिक, उद्योग और बीज कंपनियां शामिल होंगी। उन्होंने कहा कि इस टीम के जरिए मिशन कॉटन के लक्ष्य को 2030 से पहले हासिल किया जाएगा। लक्ष्य भारत में विश्वस्तरीय लॉन्ग स्टेपल कपास का उत्पादन है।
हम अब कपास उत्पादन में आत्मनिर्भर बनेंगे। आयात बंद कर, निर्यात शुरू करेंगे।
High Density खेती और किसान के लिए उपयोगी किस्मों पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। ICAR केवल वही किस्में जारी करेगा, जो वास्तव में ज़मीन पर काम आएं।
कपास पर केंद्रित टीम बनेगी, जो प्रगति की निरंतर समीक्षा… pic.twitter.com/ngJCYvBu6u
— Shivraj Singh Chouhan (@ChouhanShivraj) July 11, 2025
कपास की क्रांति की शुरुआत
शिवराज सिंह ने कहा कि यह बैठक सिर्फ औपचारिकता नहीं है, बल्कि कपास की क्रांति की शुरुआत है। तमिलनाडु की पवित्र भूमि से यह बदलाव शुरू हो रहा है। बैठक से पहले मंत्री ने खेतों में जाकर कपास उत्पादक किसानों से बात की। उन्होंने किसानों की समस्याएं और सुझाव सुने और हितधारकों से परामर्श भी किया। विकसित भारत में कपास आयात क्यों करना पड़े? हमें देश की जरूरत के अनुरूप उच्च गुणवत्ता का कपास खुद पैदा करना होगा।
ये लोग रहे मौजूद
बैठक में गिरिराज सिंह, श्याम सिंह राणा (हरियाणा), माणिकराव कोकाटे (महाराष्ट्र), ICAR के महानिदेशक एम.एल. जाट सहित कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।