उज्जैन | गणेशोत्सव को पर्यावरण हितैषी बनाने की अनोखी पहल शनिवार को उज्जैन में देखने को मिली। आगर रोड स्थित चिमनगंज मंडी में आयोजित एक बड़े कार्यक्रम में 35 से अधिक स्कूलों के करीब 5 हजार छात्र-छात्राओं ने मिट्टी से गणेश प्रतिमाएं बनाईं। इस आयोजन का उद्देश्य बच्चों को पर्यावरण संरक्षण का संदेश देना और घर-घर में मिट्टी के गणेश विराजमान करने के लिए प्रेरित करना था।
कार्यक्रम का शुभारंभ लोकमान्य तिलक गणेश उत्सव समिति द्वारा किया गया। मौके पर कलेक्टर रोशन कुमार सिंह, नगर निगम सभापति कलावती यादव और भाजपा शहर अध्यक्ष संजय अग्रवाल भी मौजूद रहे। विशेष बात यह रही कि विभिन्न धर्मों के बच्चों ने उत्साह के साथ हिस्सा लिया। एक मुस्लिम छात्रा ने भी गणेश प्रतिमा बनाकर सामाजिक सद्भाव और साझा संस्कृति की मिसाल पेश की।
चेहरों पर उत्साह
प्रतिमाओं के निर्माण के लिए विशेष मिट्टी का इंतजाम पहले से किया गया था। दो दिन पहले से तैयार की गई मिट्टी को छोटे-छोटे गोले बनाकर रखा गया था। बच्चे मंडी प्रांगण में जुटने लगे और करीब 100 प्रशिक्षकों की मदद से प्रतिमाओं का निर्माण शुरू हुआ। बच्चों के चेहरों पर उत्साह साफ झलक रहा था। उन्होंने न सिर्फ प्रतिमाएं बनाईं बल्कि इस दौरान यह भी समझा कि पर्यावरण को सुरक्षित रखने में मिट्टी का क्या महत्व है।
खास पहल
प्रतिमाओं को लेकर एक खास पहल भी की गई। आयोजन स्थल पर बच्चों द्वारा तैयार छोटी प्रतिमाओं के अलावा, लगभग 300 बड़ी प्रतिमाएं भी बनाई गईं, जिनकी ऊंचाई 3 से 4 फीट तक रही। इन प्रतिमाओं को शहर के विभिन्न गणेश पांडालों में निशुल्क वितरित किया जाएगा। इससे आम लोगों को भी मिट्टी के गणेश स्थापित करने की प्रेरणा मिलेगी और प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) की प्रतिमाओं से होने वाले प्रदूषण को रोका जा सकेगा।
पर्यावरण संरक्षण
जिला शिक्षा अधिकारी आनंद शर्मा ने बताया कि यह आयोजन मुख्यमंत्री मोहन यादव के पर्यावरण संरक्षण के आह्वान पर किया गया। उम्मीद से कहीं अधिक संख्या में छात्र-छात्राएं यहां पहुंचे और उत्साह के साथ मिट्टी की प्रतिमाएं बनाईं। कार्यक्रम में बच्चों ने शपथ भी ली कि वे आने वाले वर्षों में सिर्फ मिट्टी की ही प्रतिमाएं बनाएंगे और गणेशोत्सव में उनका पूजन करेंगे।
इस दौरान बच्चों को जल संरक्षण और मिट्टी के महत्व के बारे में भी जानकारी दी गई। आयोजकों का कहना है कि इस तरह के कार्यक्रमों से नई पीढ़ी में पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ेगी और समाज में स्वच्छता व हरित संस्कृति को मजबूती मिलेगी।
