देव प्रबोधिनी एकादशी और मध्यप्रदेश स्थापना दिवस के खास मौके पर शनिवार को उज्जैन में 67वें अखिल भारतीय कालिदास समारोह की शुरुआत हुई। इस साल का समारोह तीन बड़े संयोगों के साथ शुरू हुआ मध्यप्रदेश का 70वां स्थापना दिवस, देव प्रबोधिनी एकादशी और कालिदास समारोह का शुभारंभ। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने भोपाल से ऑनलाइन जुड़कर कार्यक्रम का उद्घाटन किया।
कालिदास की रचनाएं आज भी जीवंत
मुख्यमंत्री ने कहा कि दो हजार साल बीत जाने के बाद भी महाकवि कालिदास की रचनाएं ‘मेघदूतम्’ और ‘अभिज्ञान शाकुंतलम्’ आज भी पूरी दुनिया में सम्मान के साथ पढ़ी जाती हैं। उन्होंने कहा, “उज्जैन की यह खूबी है कि यहां हर घर में कोई न कोई कलाकार जरूर है। ऐसा शहर पूरे देश में और कहीं नहीं मिलेगा।” डॉ. यादव ने आगे कहा कि भगवान महाकाल की कृपा से उज्जैन सदैव कला, संस्कृति और आस्था का केंद्र रहा है। उन्होंने बताया कि उज्जैन को हवाई सेवा की दिशा में बड़ा तोहफा मिलने वाला है एयरपोर्ट निर्माण की तैयारी शुरू हो चुकी है और हेली सेवा की शुरुआत हो चुकी है।
1958 से लगातार चल रहा समारोह
मुख्यमंत्री ने पद्मभूषण पं. सूर्यनारायण व्यास को याद करते हुए कहा कि उन्हीं की प्रेरणा से वर्ष 1958 से यह आयोजन निरंतर हो रहा है। कालिदास की रचनाओं में प्रकृति, प्रेम और ईश्वर के प्रति गहरा भाव देखने को मिलता है।
‘कालिदास को समझना ब्रह्मा के समान कठिन’
समारोह में अयोध्या के जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी रत्नेशप्रपन्नाचार्य महाराज सारस्वत अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि कालिदास को पूरी तरह समझना केवल भगवती शारदा या ब्रह्मा ही कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि कालिदास भारत-भाव के कवि थे, जिन्होंने प्रकृति और मनुष्य के बीच के रिश्ते को बखूबी अपनी रचनाओं में पिरोया।
अतिथियों की मौजूदगी में हुआ उद्घाटन
इस अवसर पर प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल, संस्कृति मंत्री धर्मेंद्र भाव सिंह लोधी, विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा, महापौर मुकेश टटवाल और कई शिक्षाविद मौजूद रहे। कार्यक्रम की रूपरेखा कालिदास अकादमी के निदेशक डॉ. गोविंद गंधे ने प्रस्तुत की।
मुख्य कार्यक्रम के बाद राष्ट्रीय कालिदास चित्र एवं मूर्तिकला प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया गया। हालांकि, मंत्री गौतम टेटवाल और धर्मेंद्र लोधी उड़ान का समय होने की वजह से पहले ही निकल गए। बाद में अन्य अतिथियों ने फीता काटकर प्रदर्शनी खोली और कलाकृतियों का अवलोकन किया।
