उज्जैन | दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश का असर अब उज्जैन में भी दिखाई देने लगा है। आदेश की जानकारी मिलते ही शहरवासी लगातार नगर निगम को फोन कर हिंसक और आक्रामक कुत्तों को शहर से बाहर भेजने की मांग कर रहे हैं। पिछले डेढ़ साल में उज्जैन में डॉग बाइट के लगभग 30 हजार मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें दो लोगों की मौत हो चुकी है।
महापौर ने अधिकारियों के साथ की बैठक
महापौर मुकेश टटवाल ने इस गंभीर मुद्दे पर स्वास्थ्य विभाग प्रभारी सत्यनारायण चौहान, उपायुक्त योगेंद्र सिंह पटेल और संजेश गुप्ता के साथ बैठक की। बैठक में शहर में बढ़ रही कुत्तों के हमले और काटने की घटनाओं पर चिंता जताई गई। महापौर ने बताया कि पिछले पांच वर्षों में नगर निगम ने 30,696 स्ट्रीट डॉग्स की नसबंदी कराई है। उन्होंने सदावल स्थित श्वान घर की कार्यप्रणाली की जानकारी ली और हिंसक कुत्तों की पहचान कर उन्हें वहां भेजने के निर्देश दिए। साथ ही, रेबीज टीकाकरण अभियान को और तेज करने पर जोर दिया।
कुत्तों के हमलों के आंकड़े चिंताजनक
आंकड़ों के अनुसार, उज्जैन की करीब 7 लाख की आबादी में वर्ष 2024 में ही 19,949 डॉग बाइट के केस दर्ज हुए। जनवरी से जून 2025 के बीच 10,296 नई घटनाएं सामने आईं, जिनमें मई में 1,417, जून में 1,552 और जुलाई में 1,512 मामले दर्ज किए गए। इन घटनाओं में दो लोगों की मौत भी हो चुकी है, जो कुत्तों के लपकने और काटने से गंभीर रूप से घायल हुए थे।
बैठक में पार्षद श्री पंकज चौधरी, सहायक आयुक्त श्री प्रफुल्ल गठरे, श्री राघवेंद्र सिंह पालिया, श्री प्रवीण मुकाती, श्री रविकांत मगरदे, पवन कुमार फुलफकीर, श्री घनश्याम मचार उपस्थित रहे। https://t.co/aadtb50n6Z
— मुकेश टटवाल (@mukeshtatwalujn) August 12, 2025
महापौर ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुरूप नगर निगम अब सक्रिय रूप से हिंसक कुत्तों को पकड़कर श्वान घर में रखने की कार्रवाई करेगा। उन्होंने बताया कि कोर्ट के निर्णय के बाद नगर निगम को नागरिकों से बड़ी संख्या में कॉल आ रहे हैं। वरिष्ठ अधिकारियों से चर्चा के बाद कार्ययोजना बनाई जाएगी, ताकि लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
स्थानीय स्तर पर सख्त कदम की तैयारी
नगर निगम का मानना है कि सिर्फ नसबंदी ही समाधान नहीं है, बल्कि आक्रामक कुत्तों की समय पर पहचान और उन्हें आबादी वाले क्षेत्रों से हटाना भी जरूरी है। इसके लिए निगरानी टीम, त्वरित पकड़ने वाली यूनिट और आपात हेल्पलाइन को मजबूत करने पर विचार किया जा रहा है।
