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सिंहस्थ 2028 से पहले उज्जैन में दिखेंगे शेर और हाथी, बनेगा इंटरनेशनल लेवल का जू और सफारी

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Published On: 7 November 2025

बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन अब सिर्फ धार्मिक पहचान तक सीमित नहीं रहेगी। आने वाले वक्त में यहां श्रद्धा के साथ-साथ रोमांच का भी संगम देखने को मिलेगा। सरकार ने सिंहस्थ 2028 से पहले उज्जैन को एक नई पहचान देने की बड़ी तैयारी शुरू कर दी है। जल्द ही यहां शेर, बाघ, हाथी और कई दुर्लभ वन्यजीवों का घर बनने जा रहा है। दरअसल, मध्यप्रदेश सरकार और अनंत अंबानी के ‘वनतारा प्रोजेक्ट’ के सहयोग से नवलखी बीड़ के रिजर्व फॉरेस्ट एरिया में 201 हेक्टेयर जमीन पर जू, रेस्क्यू सेंटर और सफारी तैयार की जा रही है। 350 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाला यह प्रोजेक्ट आने वाले वर्षों में उज्जैन का सबसे बड़ा आकर्षण साबित होगा।

रोमांच और भक्ति का संगम

वन विभाग ने इसकी शुरुआत भी कर दी है। 21 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की एक टीम यहां का निरीक्षण कर चुकी है। टीम में जू डिजाइन और लैंडस्केपिंग के कई दिग्गज शामिल थे। उन्होंने पूरे इलाके की बनावट, मिट्टी, पानी और पेड़-पौधों का अध्ययन किया है। उनके इनपुट के आधार पर अब डीपीआर तैयार की जाएगी। यहां बनने वाली टाइगर सफारी लगभग 4 किलोमीटर लंबे क्षेत्र में फैली होगी। इसकी सबसे खास बात यह है कि पर्यटक यहां नदी और चट्टानों के बीच खुले माहौल में शेरों को देख पाएंगे। यानी जंगल सफारी का असली अनुभव अब उज्जैन में भी मिल सकेगा।

तीन फेज़ में बनेगा मेगा प्रोजेक्ट

पूरे प्रोजेक्ट को तीन चरणों में पूरा किया जाएगा। पहले चरण में जू, दूसरे में सफारी और तीसरे में रेस्क्यू सेंटर और एनिमल हॉस्पिटल बनाया जाएगा। यहां मांसाहारी, शाकाहारी, पक्षी और जलचर सभी तरह के जीव रखे जाएंगे। फिलहाल, इसे ओडिशा के मशहूर नंदनकानन जू की तर्ज पर तैयार किया जा रहा है।

मिनी रेल से सफारी की सैर

पर्यटकों की सुविधा के लिए यहां मिनी रेल भी चलेगी। इस रेल में बैठकर लोग पूरे पार्क का चक्कर लगा सकेंगे और प्राकृतिक नज़ारों के साथ वन्यजीवों का आनंद ले पाएंगे। साथ ही रेस्क्यू सेंटर में घायल या बीमार जानवरों के इलाज के लिए बड़ा अस्पताल भी बनाया जाएगा, जहां विशेषज्ञ डॉक्टर और स्टाफ की टीम तैनात रहेगी।

2030 तक तैयार होगा उज्जैन का मेगा जू

वन विभाग का लक्ष्य है कि साल 2030 तक यह पूरा प्रोजेक्ट तैयार हो जाए। फिलहाल इसके डिजाइन और योजना पर तेजी से काम चल रहा है। अगर सब कुछ तय समय पर हुआ, तो सिंहस्थ 2028 में उज्जैन आने वाले श्रद्धालु सिर्फ महाकाल के दर्शन ही नहीं, बल्कि रोमांचक सफारी का भी अनुभव कर सकेंगे — जहां जंगल की दहाड़ और मंदिर की घंटियां एक साथ गूंजेंगी।

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