भैरव अष्टमी के मौके पर उज्जैन एक बार फिर भक्ति और आस्था के रंग में रंग गया। शहर के प्रसिद्ध भागसीपुरा स्थित प्राचीन 56 भैरव मंदिर में भगवान भैरवनाथ को इस बार 2100 तरह की वस्तुओं का भोग लगाया गया। मंदिर में सुबह से ही भक्तों की भीड़ उमड़ने लगी थी। लोगों में भक्ति के साथ उत्सुकता भी दिखी, क्योंकि हर साल भोग की संख्या बढ़ती जा रही है। इस बार तो यह संख्या 2100 तक पहुंच गई।
मंदिर समिति के अनुसार, इस विशेष भोग में इस बार ऐसी चीजें भी शामिल थीं, जो आम तौर पर किसी देवता को अर्पित नहीं की जातीं। 45 तरह की देसी-विदेशी मदिरा, गांजा, भांग, चिलम, अफीम, बीड़ी-सिगरेट, तंबाकू, नमकीन, मिठाइयां, चॉकलेट, ड्राई फ्रूट्स और 700 तरह के इत्र तक भगवान को अर्पित किए गए। यह परंपरा पिछले 21 सालों से चली आ रही है और हर साल कुछ नया इसमें जुड़ जाता है।
नहीं छोड़ी कोई कमी
भक्त नीरज देसाई ने बताया कि इस साल के महाभोग की तैयारी कई हफ्तों पहले शुरू हो गई थी। भैरवनाथ को खुश करने के लिए भक्त अपनी तरफ से कोई कमी नहीं छोड़ते। इस बार 400 तरह की अगरबत्तियां, 180 प्रकार के मुखवास, 150 नमकीन, 150 मिठाइयां और 30 चॉकलेट के प्रकार शामिल किए गए हैं। भगवान को सुगंध बहुत प्रिय है, इसलिए 700 तरह के इत्र अर्पित किए गए।
मंदिर को भव्य तरीके से सजाया गया। चारों ओर फूलों की सजावट और रंगीन लाइटों से पूरा परिसर चमक उठा। भैरवनाथ का विशेष श्रृंगार किया गया और उन्हें चांदी की पगड़ी पहनाई गई। रात 12 बजे महाआरती का आयोजन हुआ, जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल हुए।
भक्तों में बांटा गया प्रसाद
भक्तों के अनुसार, राजा विक्रमादित्य के समय से ही इस मंदिर में भैरव की पूजा होती रही है। पहले यहां 56 भोग लगाए जाते थे, इसलिए मंदिर का नाम “56 भैरव” पड़ा। धीरे-धीरे भक्तों की संख्या और श्रद्धा बढ़ती गई और आज यह आंकड़ा 2100 भोग तक पहुंच गया है। भोग सामग्री देर रात तक दर्शनार्थियों के लिए रखी गई। इसके बाद परंपरा के अनुसार, इन्हें प्रसाद के रूप में भक्तों में बांटा गया। मंदिर में पूरी रात ढोल-ढमाकों और भक्ति गीतों की गूंज रही।
