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उज्जैन में CM यादव की नई पहल, वैदिक परंपरा से जोड़ा पर्यावरण संरक्षण का दिया संदेश

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Published On: 12 July 2025

उज्जैन | MP के उज्जैन के महाकाल परिसर में शनिवार को पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक नई पहल की गई। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पौधारोपण अभियान की शुरुआत करते हुए भारतीय संस्कृति और वैदिक परंपरा में पेड़-पौधों के महत्व को बड़े भावपूर्ण शब्दों में साझा किया। उन्होंने कहा, “हमारे ग्रंथों ने सदियों पहले बता दिया था कि पेड़-पौधों में भी जीवन होता है और यही कारण है कि हम उन्हें देवताओं के समान पूजते हैं।”

इस शुभ अवसर पर महामंडलेश्वर उत्तम स्वामी, महंत विनीत गिरी महाराज और अनेक संत-महात्माओं की मौजूदगी में वैदिक मंत्रों के बीच पौधारोपण किया गया। मुख्यमंत्री ने दीप प्रज्वलन कर अभियान का शुभारंभ किया और सभी उपस्थित अतिथियों को महाकाल प्रतीक चिन्ह और शाल भेंट कर सम्मानित किया।

वैज्ञानिक दृष्टिकोण और भारतीय परंपरा का संगम

मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने अपने संबोधन में भारतीय वैज्ञानिक डॉ. जगदीश चंद्र बोस का ज़िक्र करते हुए कहा कि उन्होंने विज्ञान की दुनिया में यह सिद्ध किया कि वनस्पतियों में भी संवेदना और जीवन होता है। उन्होंने बताया कि जब डॉ. बोस ने यह शोध यूरोप में प्रस्तुत किया, तो लोग चकित रह गए और उन्हें कंधों पर उठा लिया। डॉ. बोस ने गर्व से कहा कि “हम भारतीय तो यह बात बचपन से जानते हैं।”

“हर व्यक्ति लगाए कम से कम 5 पौधे”

मुख्यमंत्री ने आमजन से अपील करते हुए कहा कि हर नागरिक को वर्षा ऋतु में कम से कम पांच पौधे अवश्य लगाने चाहिए। यह केवल पर्यावरण की सेवा नहीं है, बल्कि प्रकृति के ऋण को चुकाने का एक छोटा सा प्रयास है। उन्होंने कहा कि “हर पौधा एक जीवन है, और एक जीवन का रोपण हजारों सांसों को संजीवनी देता है।” CM ने बताया कि सरकार वृक्षारोपण को सिर्फ एक सरकारी कार्यक्रम नहीं, बल्कि जनआंदोलन बना रही है। स्कूल, कॉलेज, मंदिर, गुरुद्वारे, मस्जिद, चर्च, गांव और शहर हर जगह वृक्षारोपण को उत्सव की तरह मनाया जा रहा है। इसका उद्देश्य हर नागरिक को प्रकृति से जोड़ना और आने वाली पीढ़ियों को एक शुद्ध पर्यावरण देना है।

इस अवसर पर उज्जैन जिले के प्रभारी मंत्री गौतम टेटवाल, सांसद अनिल फिरोजिया, विधायक सतीश मालवीय, अनिल जैन कालूखेड़ा, संत उमेश नाथ महाराज और नगर के प्रमुख जनप्रतिनिधि मौजूद रहे। कार्यक्रम में मौजूद संतों और आमजन ने मुख्यमंत्री की इस पहल की सराहना की। उन्होंने कहा कि यह केवल एक पौधारोपण नहीं, बल्कि जीवन, संस्कृति और जिम्मेदारी का संगम है।

अंत में यह दिया संदेश

“पेड़ सिर्फ लकड़ी नहीं, ये हमारी सांसों के संरक्षक हैं। आज जो हम लगाते हैं, वही कल छांव और जीवन बनकर लौटेगा। आइए प्रकृति के इस यज्ञ में सभी भागीदार बनें।”

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