उज्जैन | श्रावण मास के दूसरे सोमवार को भगवान महाकालेश्वर की भव्य सवारी शहर की सड़कों से होकर गुजरेगी। यह सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं होगा, बल्कि एक सांस्कृतिक उत्सव का दृश्य पेश करेगा। इस बार की थीम “भारत के लोकनृत्य” पर आधारित रहेगी, जिसमें विभिन्न प्रदेशों की झलक रामघाट पर देखने को मिलेगी। इस ऐतिहासिक आयोजन की शुरुआत शाम 4 बजे मंदिर के सभामंडप में पूजन-अर्चन से होगी। इसके बाद भगवान चंद्रमौलेश्वर रजत पालकी में और मनमहेश स्वरूप में हाथी पर विराजमान होकर शहर भ्रमण पर निकलेंगे। विशेष सुरक्षा के बीच सशस्त्र बल के जवान मंदिर के मुख्य द्वार पर पालकी को सलामी देंगे। मुख्यमंत्री मोहन यादव भी महाकाल मंदिर पहुंचकर पूजन करेंगे और संभवत: सवारी में शामिल होंगे।
भक्तों के स्वागत को तैयार उज्जैन
महाकाल मंदिर प्रबंधन समिति ने लाखों श्रद्धालुओं की संभावित भीड़ को ध्यान में रखते हुए व्यापक इंतजाम किए हैं। श्रद्धालुओं को सवारी मार्ग पर लगे एलईडी स्क्रीन के माध्यम से लाइव दर्शन का अवसर मिलेगा। साथ ही, आयोजन का सीधा प्रसारण फेसबुक पर भी किया जाएगा, ताकि देश-विदेश में बैठे भक्त भी जुड़ सकें।
सवारी रामघाट होते हुए वापस रामानुजकोट, मोढ़ी धर्मशाला, कार्तिक चौक से मंदिर लौटेगी। रामघाट पर शिप्रा नदी के पवित्र जल से भगवान का अभिषेक किया जाएगा।
पहली सवारी में उमड़ा भक्तों का सैलाब
श्रावण के पहले सोमवार को उज्जैन ने एक बार फिर अपनी धार्मिक आस्था की मिसाल पेश की। करीब 2.5 लाख श्रद्धालुओं ने महाकाल के दर्शन किए। इस दौरान 54.48 क्विंटल लड्डू प्रसाद वितरित किया गया जिसकी कुल बिक्री 26 लाख रुपए के पार पहुंची। इस बार दूसरे सोमवार को श्रद्धालुओं की संख्या और लड्डू की मांग दोनों में बढ़ोतरी की उम्मीद है। इसलिए समिति ने 80 क्विंटल प्रसाद तैयार कराने के निर्देश दिए हैं।
लोकनृत्य से होगा रामघाट रोशन
इस बार सवारी का प्रमुख आकर्षण विभिन्न प्रदेशों के लोकनृत्य होंगे। रामघाट पर मध्यप्रदेश का मटकी नृत्य, राजस्थान की गणगौर, असम का बिहू, गुजरात का भवाई और कर्नाटक का पुलियाट्टम नृत्य प्रस्तुत किया जाएगा। यह आयोजन आस्था के साथ-साथ भारत की सांस्कृतिक विविधता को भी दर्शाएगा।
महाकाल की रथ यात्राएं
- द्वितीय सवारी: 22 जुलाई
- तृतीय सवारी: 28 जुलाई
- चतुर्थ सवारी: 4 अगस्त
- पंचम सवारी: 11 अगस्त
- राजसी सवारी: 18 अगस्त
भोर में खुलेंगे मंदिर के पट
श्रावण मास में भगवान महाकाल अपने भक्तों को जल्दी दर्शन देंगे। हर सोमवार तड़के 2:30 बजे मंदिर के पट खुलेंगे और भस्म आरती के बाद श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे। सप्ताह के बाकी दिनों में पट 3 बजे खुलेंगे।
