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ओंकारेश्वर में ममलेश्वर लोक को लेकर बवाल, ब्रह्मपुरी में पूरा बाजार बंद; रात में छुपकर सर्वे से लोगों में गुस्सा

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Published On: 17 November 2025

ओंकारेश्वर में ममलेश्वर लोक प्रोजेक्ट को लेकर माहौल पूरी तरह गरमाया हुआ है। ब्रह्मपुरी इलाके के लोग खुले तौर पर कह रहे हैं कि विकास चाहिए तो साथ हैं, लेकिन अपनी पुश्तैनी जमीन और घर छोड़ने का सवाल ही नहीं उठता। सुनीता रावत की बात हर गली में दोहराई जा रही है कि सरकार को जहां ममलेश्वर लोक बनाना है बना ले, पर हम अपनी जन्मभूमि नहीं छोड़ेंगे। रात के अंधेरे में 3 से 4 बजे सर्वे करने आती है प्रशासन की टीम… ये कौन सा तरीका है?

स्थानीय लोगों के गुस्से का असर पूरे तीर्थ क्षेत्र में साफ दिखाई दिया। सोमवार सुबह से ही ओंकारेश्वर में लॉकडाउन जैसे हालात बन गए। पूरा बाजार बंद चाय की दुकान से लेकर बड़े होटल तक, कहीं एक भी शटर नहीं खुला। टैक्सी-ऑटो नहीं चले। नाविकों ने नर्मदा में नौका विहार भी बंद रखा। और ये हालात सिर्फ आज भर नहीं, अगले तीन दिन तक ऐसे ही रहने वाले हैं।

बिना बातचीत के सर्वे

लोगों का आरोप है कि 120 करोड़ के इस प्रस्तावित ममलेश्वर लोक प्रोजेक्ट में बिना भरोसे और बिना बातचीत के ही सर्वे कर दिया गया। सर्वे में सैकड़ों घर, दुकानें, आश्रम और पुरानी संरचनाएं शामिल कर दी गईं। इससे हजारों लोगों के प्रभावित होने की आशंका है। पहले विधायक और स्थानीय नेताओं को घेरा गया, फिर जनप्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री मोहन यादव से मिलने की कोशिश की, लेकिन बात आगे नहीं बढ़ी। दो दिन पहले सांसद की बैठक में कलेक्टर ने साफ कहा कि सिंहस्थ से पहले मंदिर क्षेत्र का विस्तार होना ही है, और सर्वे किसी हालत में नहीं रुकेगा। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि जिनका मकान या दुकान जाएगी, उन्हें तीर्थ क्षेत्र में ही दूसरी जगह दी जाएगी।

लोगों की मांग

लोगों का कहना है कि भरोसा अब बचा ही नहीं है, इसलिए आंदोलन के अलावा कोई रास्ता नहीं। टीम जब सोमवार को ओंकारेश्वर पहुंची, तो पूरा बाजार सुनसान पड़ा था। सड़कें खाली, दुकानों पर ताले, होटल्स पर “नो बुकिंग” के बोर्ड। मंदिर के पास पूजन सामग्री बेचने वाले तक नहीं दिखे। घाट पर रोज फूल बेचने वाले भी गायब। ग्वालियर से आए राजवीर सिंह अपने परिवार के साथ दर्शन करने पहुंचे, पर हालात देखकर फंस गए। न टैक्सी मिली, न चाय पानी। बच्चे रोने लगे तो मजबूरी में उन्होंने सनावद में रहने वाले एक रिश्तेदार को फोन लगाया। रिश्तेदार फल और पानी लेकर पहुंचे, तब जाकर परिवार ने राहत ली। तीन दिन का बंद अभी और दिक्कतें बढ़ाएगा। लेकिन लोग अड़े हुए हैं कि पहले बातचीत करो, फिर विकास की बात करो।

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