उज्जैन | श्रावण के पावन महीने में उज्जैन के श्री महाकाल मंदिर प्रबंध समिति द्वारा आयोजित 20वें अखिल भारतीय श्रावण महोत्सव की अगली कड़ी में 9 अगस्त शनिवार को कला और संस्कृति का एक रंगारंग संगम देखने को मिलेगा। त्रिवेणी कला एवं पुरातत्व संग्रहालय के सभागृह में शाम 7 बजे से शास्त्रीय संगीत और नृत्य की भव्य प्रस्तुतियां होंगी, जिनमें देश के अलग-अलग हिस्सों से आए कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करेंगे।
इस सांस्कृतिक संध्या में कोलकाता की अद्रिजा बासु, गुवाहाटी के शुभांकर हजारिका और नई दिल्ली से पद्मश्री गुरु जयराम राव अपने-अपने क्षेत्र की प्रतिष्ठित कला प्रस्तुतियों से दर्शकों को भावविभोर करेंगे।
ये सितारें होंगे सम्मिलित
- कोलकाता की अद्रिजा बासु का शास्त्रीय संगीत से जुड़ाव बाल्यकाल से ही शुरू हो गया था। उन्होंने अपने दादा आचार्य रामकृष्ण बासु से इंदौर घराने की परंपरा में दीक्षा ली। बाद में उन्हें आचार्य जयंत बोस, एलिक सेनगुप्ता (पति) और पद्मश्री उल्हास कशालकर जैसे महान गुरुओं से मार्गदर्शन मिला। अद्रिजा देश-विदेश में मंचों पर अपनी गायन प्रतिभा का जादू बिखेर चुकी हैं।
- गुवाहाटी के शुभांकर हजारिका सितार वादन की दुनिया में एक जानी-मानी हस्ती हैं। संगीत उन्हें विरासत में मिला और उन्होंने पंडित विष्णुलाल नाग से पारंपरिक शैली में सितार की शिक्षा ली। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय से उन्हें राष्ट्रीय छात्रवृत्ति मिली है। वे आकाशवाणी और दूरदर्शन के नियमित कलाकार भी हैं।
- नई दिल्ली से आने वाले पद्मश्री गुरु जयराम राव कुचिपुड़ी नृत्य की एक जीवंत मिसाल हैं। उन्होंने गुरु डॉ. वेम्पति चिन्ना सत्यं से प्रशिक्षण प्राप्त किया और बाद में राजधानी दिल्ली में कुचिपुड़ी विद्यालय की स्थापना कर इस कला को नई पीढ़ी तक पहुंचाया। उन्हें पद्मश्री और संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। वे भारत सरकार की कुचिपुड़ी विशेषज्ञ समिति के सदस्य भी हैं।
