उज्जैन | मध्य प्रदेश के उज्जैन का प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर एक बार फिर आस्था के महासागर में डूबने को तैयार है। नागपंचमी के पावन अवसर पर, मंदिर की तीसरी मंजिल पर विराजित भगवान नागचंद्रेश्वर के अलौकिक दर्शन इस वर्ष 28 जुलाई की रात 12 बजे से प्रारंभ होंगे, जो अगले 24 घंटे तक श्रद्धालुओं के लिए खुले रहेंगे। यह दुर्लभ अवसर साल में केवल एक बार ही आता है, जब हजारों श्रद्धालु भगवान के इस अनुपम स्वरूप के दर्शन करते हैं।
त्रिकाल पूजन से होगा शुभारंभ
जैसे ही रात 12 बजे मंदिर के पट खोले जाएंगे, महानिर्वाणी अखाड़ा के महंत विनीतगिरी महाराज द्वारा भगवान नागचंद्रेश्वर का त्रिकाल पूजन किया जाएगा। पूजन के उपरांत करीब 1 बजे से श्रद्धालुओं को दर्शन की अनुमति दी जाएगी। 29 जुलाई को दोपहर में भी विशेष पूजन होगा, जिसमें महाकाल मंदिर के पुजारी, अखाड़ा प्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी सम्मिलित होंगे। इसके बाद, शाम की महाआरती के साथ पूजा-विधि पूर्ण होगी।
इतिहास
भगवान नागचंद्रेश्वर की मूर्ति 11वीं शताब्दी की है और इसे नेपाल से लाया गया था। सात फनों वाले नाग पर विराजमान भगवान शिव के साथ पार्वती, नंदी, सिंह, श्री गणेश, कार्तिकेय, सूर्य और चंद्रमा की कलात्मक उपस्थिति इस मूर्ति को अद्वितीय बनाती है। यह स्वरूप दुनिया में केवल उज्जैन के महाकाल मंदिर में ही उपलब्ध है, जो इसे विशेष बनाता है।
दर्शन के लिए विशेष व्यवस्थाएं
श्रद्धालुओं की सुविधा को ध्यान में रखते हुए इस वर्ष प्रशासन ने दर्शन के लिए एक सुव्यवस्थित मार्ग तैयार किया है। श्रद्धालु चारधाम मंदिर से लाइन में लगकर हरसिद्धि मंदिर होते हुए बड़ा गणेश मंदिर के पास गेट क्रमांक चार से प्रवेश करेंगे। वहां से विश्रामधाम होते हुए एयरो ब्रिज के माध्यम से तीसरी मंजिल पर स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर पहुंच सकेंगे।
पार्किंग की सुविधा
महाकाल लोक में प्रवेश नंदी द्वार से किया जाएगा और दर्शन के बाद श्रद्धालु आपातकालीन मार्ग से बाहर निकलेंगे। वाहनों की पार्किंग के लिए हरिफाटक पुल, हाटबाजार, कर्कराज मंदिर और कार्तिक मेला ग्राउंड समेत कई स्थानों पर व्यवस्थाएं की गई हैं। साथ ही, प्रशासन ने पेयजल, प्राथमिक उपचार, व्हीलचेयर, पूछताछ केंद्र और खोया-पाया जैसी सुविधाएं भी मुहैया करवाई हैं।
