उज्जैन जिले के घट्टिया स्थित एलपीजी बॉटलिंग प्लांट से पूरे प्रदेश में गैस सिलेंडर सप्लाई की जाती है। इसी प्लांट से जुड़े ट्रक ड्राइवर अब अपनी मांगें मनवाने के लिए 1 दिसंबर से हड़ताल पर जाने वाले हैं। ड्राइवरों ने साफ कर दिया है कि जब तक वेतन नहीं बढ़ाया जाता, वे सिलेंडर से भरे ट्रक लेकर बाहर नहीं निकलेंगे। ड्राइवरों के इस फैसले से प्रदेश के 70% हिस्से में गैस सप्लाई पर असर पड़ने की आशंका जताई जा रही है।
प्लांट से जुड़ी 15 ट्रांसपोर्ट कंपनियों के करीब 230 ड्राइवरों ने हड़ताल की चेतावनी दी है। उनका कहना है कि वे पिछले दो साल से वेतन बढ़ाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन हर बार सिर्फ आश्वासन मिलता है।
मासिक वेतन
ड्राइवरों का कहना है कि उन्हें सिर्फ 8 हजार रुपये मासिक वेतन दिया जा रहा है, जिससे घर चलाना मुश्किल हो गया है। महंगाई बढ़ने के बावजूद कंपनियों ने तनख्वाह में इजाफा नहीं किया। महाकाल एलपीजी ड्राइवर एसोसिएशन के अध्यक्ष रमेश चौहान ने बताया कि ड्राइवरों की सबसे बड़ी मांग वेतन बढ़ाकर 15 हजार रुपये करने की है। उन्होंने कहा कि कई बार बोला गया कि टेंडर पास होने के बाद वेतन बढ़ाया जाएगा, लेकिन हर बार बात टाल दी जाती है। अब फैसला कर लिया है कि अगर हमारी मांग नहीं मानी गई तो सभी ड्राइवर गाड़ियों की चाबी ट्रांसपोर्टर्स को सौंप देंगे।
सप्लाई संकट की मार
- ड्राइवरों ने कंपनियों को चार दिन का समय दिया है। यदि तय समय में वेतनवृद्धि नहीं हुई, तो 1 दिसंबर से कोई भी ट्रक प्लांट से बाहर नहीं निकलेगा।
- विरोध कर रहे ड्राइवरों का कहना है कि लगातार लंबे रूट पर सफर, जोखिम भरा काम और बढ़ती महंगाई के कारण 8 हजार रुपये तनख्वाह बिल्कुल भी पर्याप्त नहीं है।
- इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड का उज्जैन एलपीजी प्लांट प्रदेश के 70% हिस्सों के अलावा तीन राज्यों की बॉर्डर तक सिलेंडर भेजता है।
- यदि ड्राइवरों की हड़ताल शुरू होती है, तो सिर्फ उज्जैन ही नहीं, बल्कि आसपास के जिलों और सीमावर्ती इलाकों में भी गैस सिलेंडर की कमी देखने को मिल सकती है।
- अब ड्राइवरों की चेतावनी के बाद ट्रांसपोर्टर्स और प्रशासन दोनों पर दबाव बढ़ गया है कि जल्द समाधान निकाला जाए, वरना अगले हफ्ते से आम लोगों को सिलेंडर मिलने में परेशानी हो सकती है।
