महाकाल लोक के मिडवे जोन में दुकानें आवंटित कराने के लिए चार साल से संघर्ष कर रहे 18 दुकानदारों को आखिरकार बड़ी राहत मिल गई है। इंदौर हाईकोर्ट ने स्मार्ट सिटी और नगर निगम द्वारा वसूली जा रही 45 से 55 लाख रुपये की भारी-भरकम मांग पर रोक लगा दी है। साथ ही आदेश दिया है कि दुकानों की प्रीमियम दरों की पुनर्गणना की जाए और दुकानदारों से केवल न्यूनतम लागत व नया कंस्ट्रक्शन शुल्क ही लिया जाए। कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि सभी 18 दुकानदारों को 60 दिनों के भीतर दुकानें आवंटित कर दी जाएं।
2020 में खाली कराई गई थीं दुकानें
इन दुकानदारों ने साल 2020 में नगर निगम से करीब 9.5 लाख रुपये में दुकानें खरीदी थीं। महाकाल लोक निर्माण शुरू होने पर इन्हें दुकानें खाली करने को कहा गया, बदले में आश्वासन दिया गया कि मिडवे जोन में नई और बेहतर दुकानें दी जाएंगी। दुकानदारों ने भरोसे के चलते अपने पुराने प्रतिष्ठान खाली कर दिए।
स्मार्ट सिटी ने भेजा नोटिस
महाकाल लोक के तैयार होने के बाद 2022 में स्मार्ट सिटी ने इन दुकानदारों को दुकान आवंटन के लिए पत्र जारी किया। लेकिन चौंकाने वाली बात यह रही कि प्रत्येक दुकानदार से 45 से 55 लाख रुपये जमा करने को कहा गया। 10 लाख की दुकान के बदले अचानक इतनी भारी रकम की मांग देखकर दुकानदारों ने आपत्ति दर्ज कराई। उन्होंने पहले कलेक्टर और कमिश्नर से न्याय की गुहार लगाई, लेकिन समाधान न मिलने पर मामला हाईकोर्ट पहुंच गया।
दुकानदारों की दलील
दुकानदार अर्पण शर्मा ने बताया कि कोर्ट में दलील विस्थापन अधिनियम की धारा 10 के आधार पर रखी गई, जिसमें स्पष्ट है कि दुकान खाली कराने पर बदले में ‘दुकान के बदले दुकान’ दी जानी चाहिए, न कि नई प्रीमियम दरों पर करोड़ों की वसूली की जाए। कोर्ट ने इस पर सहमति जताई और स्मार्ट सिटी की मांग को अनुचित माना।
फैसले से दुकानदारों में खुशी
फैसले के बाद दुकानदारों में खुशी का माहौल है। उन्हें उम्मीद है कि अगले दो महीनों में दुकानें आवंटित हो जाएंगी और वे फिर से अपना कारोबार शुरू कर सकेंगे। महाकाल लोक आने वाले श्रद्धालुओं को जल्द ही खाने-पीने, स्मृति चिन्ह और अन्य सुविधाओं की दुकानें पहले की तरह उपलब्ध होने लगेंगी। हाईकोर्ट के आदेश ने लंबे समय से चली लड़ाई को खत्म करते हुए दुकानदारों के लिए नई उम्मीद जगा दी है।
