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11 अगस्त को निकलेगी महाकालेश्वर की पांचवी सवारी, पांच स्वरूपों में देंगे दर्शन

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Published On: 10 August 2025

उज्जैन | भाद्रपद माह की प्रथम और परंपरा के अनुसार महाकालेश्वर की पांचवीं सवारी इस बार 11 अगस्त, सोमवार की शाम को निकलेगी। शाम 4 बजे महाकालेश्वर मंदिर प्रांगण से यह भव्य शोभायात्रा प्रारंभ होगी। भगवान महाकाल इस अवसर पर अपने पांच अलग-अलग स्वरूपों में भक्तों को दर्शन देंगे।

सवारी की शुरुआत मंदिर के पवित्र सभामंडप में विशेष पूजन-अर्चन से होगी। सबसे पहले भगवान चन्द्रमौलेश्वर का विधिवत पूजन किया जाएगा, जिसके बाद भव्य जुलूस की औपचारिक शुरुआत होगी। इस शोभायात्रा में पालकी में विराजमान चन्द्रमौलेश्वर, हाथी पर सवार मनमहेश, गरूड़ रथ पर शिवतांडव, नन्दी रथ पर उमा-महेश और डोल रथ में विराजित होल्कर स्टेट के मुखारविंद भक्तों को अपने अलौकिक स्वरूप के दर्शन कराएंगे। मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवान विशेष सम्मान के रूप में पालकी को सलामी देंगे।

परंपरागत मार्ग और शिप्रा स्नान

सवारी अपने तयशुदा पारंपरिक मार्ग से आगे बढ़ेगी। महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार और कहारवाड़ी से होते हुए जुलूस रामघाट पहुंचेगा। यहां शिप्रा नदी के पवित्र जल से भगवान का अभिषेक और पूजन किया जाएगा। इसके बाद शोभायात्रा रामानुजकोट, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार और गुदरी बाजार से गुजरते हुए पुनः महाकालेश्वर मंदिर लौटेगी।

धार्मिक पर्यटन की झलकियां भी होंगी शामिल

सिर्फ देवदर्शन ही नहीं, इस बार सवारी में मध्यप्रदेश के प्रमुख धार्मिक पर्यटन स्थलों की झांकियां भी विशेष आकर्षण बनेंगी। इनमें ओरछा के श्री राजाराम लोक, मां बगलामुखी माता मंदिर, मां शारदा शक्तिपीठ मैहर और सलकनपुर स्थित मां बिजासन धाम की प्रतिकृतियां शामिल होंगी। ये झांकियां भक्तों और पर्यटकों को राज्य की आध्यात्मिक धरोहर से जोड़ेंगी।

जनजातीय संस्कृति का रंग

इस सवारी में सिर्फ धार्मिक ही नहीं, सांस्कृतिक विविधता का भी अद्भुत संगम देखने को मिलेगा। चार अलग-अलग क्षेत्रों के जनजातीय नृत्य दल अपनी प्रस्तुति देंगे। बैतूल से गौण्ड समाज का ठाट्या नृत्य, खजुराहो से कछियाई लोक नृत्य, दमोह से बधाई नृत्य और डिण्डोरी से गेडी नृत्य जुलूस में जीवंतता भरेंगे। इन नृत्यों की लय और ऊर्जा न केवल स्थानीय लोगों बल्कि दूर-दराज से आए श्रद्धालुओं के लिए भी खास अनुभव होगी।

आस्था और उत्सव का संगम

महाकालेश्वर की सवारियां उज्जैन की धार्मिक परंपरा का अहम हिस्सा मानी जाती हैं। हर सवारी में हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। भाद्रपद की पहली सवारी होने के कारण इस बार उत्साह और भी अधिक है। शहर में सुरक्षा और यातायात व्यवस्था को लेकर प्रशासन ने विशेष तैयारियां शुरू कर दी हैं, ताकि भक्त निर्बाध रूप से दर्शन और शोभायात्रा का आनंद ले सकें।

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