उज्जैन-इंदौर रोड स्थित पामेचा सुपर स्पेशियलिटी अस्पताल पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगा है। एक मरीज की मौत के बाद शव को अस्पताल के अंदर न रखने की शिकायत सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग ने सख्त कार्रवाई की है। अस्पताल प्रबंधन को 10 दिन के भीतर शव-संधारण की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही इस अवधि में किसी नए मरीज को भर्ती करने पर रोक लगा दी गई है।
आगर मालवा की रहने वाली महिला के पति 41 वर्षीय रितेश भोला को सीने में दर्द की वजह से पामेचा अस्पताल में भर्ती कराया गया था। परिवार का आरोप है कि 21 नवंबर को रितेश की मौत के बाद डॉक्टरों ने शव को अस्पताल में रखने से साफ मना कर दिया। महिला के अनुसार उन्होंने डॉक्टर से गुज़ारिश की कि उनके परिजन ग्वालियर से आ रहे हैं, इसलिए कुछ घंटे के लिए शव को अस्पताल में ही रहने दिया जाए। लेकिन अस्पताल प्रशासन ने उनकी बात नहीं मानी और शव को बाहर रखवा दिया।
स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया
मामले की शिकायत सीएमएचओ कार्यालय तक पहुंची। इसके बाद प्रभारी सीएमएचओ सुनीता परमार के निर्देश पर जांच कमेटी बनाई गई। जांच में पाया गया कि अस्पताल में शव को सुरक्षित रखने के लिए जरूरी सुविधाएं उपलब्ध ही नहीं थीं। यही वजह बताकर अस्पताल प्रबंधन ने शव को बाहर रखवा दिया था। रिपोर्ट सामने आते ही स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया।
10 दिन में व्यवस्था सुधारने का आदेश
जांच रिपोर्ट के आधार पर प्रभारी सीएमएचओ सुनीता परमार ने अस्पताल प्रबंधन को 10 दिन के भीतर शव-संधारण की व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए हैं। विभाग ने साफ कहा है कि जब तक यह सुविधा उपलब्ध नहीं होती, अस्पताल किसी भी नए मरीज को भर्ती नहीं करेगा। साथ ही, अस्पताल की कार्यप्रणाली पर भी निगरानी रखी जाएगी। स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई के बाद अस्पताल प्रशासन सवालों के घेरे में है। जिले में निजी अस्पतालों की व्यवस्था और मानकों को लेकर भी चर्चा तेज हो गई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि बड़े अस्पताल होने के बावजूद पामेचा अस्पताल में मूलभूत सुविधाओं की कमी सामने आना गंभीर बात है। मामला सोशल मीडिया पर भी तेजी से चर्चा में है।
रितेश भोला की पत्नी और बच्चे अभी भी सदमे में हैं। महिला ने कहा कि ऐसे कठिन समय में अस्पताल से उम्मीद थी कि संवेदनशीलता दिखाई जाएगी, लेकिन उनके साथ गलत व्यवहार हुआ। मामले के सामने आने के बाद कई सामाजिक संगठनों ने भी अस्पताल की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं।
