उज्जैन | सावन का अंतिम दिन, रक्षाबंधन का पावन पर्व और साथ ही आसमान में बादलों की बेरुखी इन्हीं हालातों के बीच श्री महाकाल मंदिर में शनिवार को विशेष पर्जन्य अनुष्ठान की शुरुआत हुई। बारिश के लिए की जा रही इस अनूठी पूजा में प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव अपनी पत्नी के साथ शामिल हुए। नंदी हॉल में आयोजित इस धार्मिक कार्यक्रम में कुल 66 पुजारियों ने मिलकर महारुद्र पाठ आरंभ किया, जो करीब तीन घंटे तक चलता रहेगा।
क्यों हो रही है बारिश की प्रार्थना
मालवा क्षेत्र खासकर उज्जैन, इंदौर, देवास और आसपास के जिलों में इस बार मानसून का मिजाज कमजोर रहा है। किसानों की फसलें पानी की कमी से जूझ रही हैं और आम लोगों के लिए भी जल संकट गहराता जा रहा है। उज्जैन का गंभीर डेम, जो शहर की एकमात्र पेयजल आपूर्ति का मुख्य स्रोत है, अब महज 10 दिन का पानी बचाए हुए है। नतीजतन, पहले ही शहर में एक दिन छोड़कर पानी सप्लाई की जा रही है।
अनुष्ठान का माहौल
नंदी हॉल में सुबह से ही मंत्रोच्चार की गूंज रही। पुजारियों ने शिवलिंग का महापूजन कर सतत जलधारा और दूधधारा से भगवान महाकाल का अभिषेक किया। गर्भगृह में निरंतर जल अर्पण के साथ पूरे परिसर का वातावरण भक्ति और आस्था से भर गया। पंडित आशीष, जो इस आयोजन का हिस्सा थे, ने बताया कि रक्षाबंधन पूर्णिमा के अवसर पर उत्तम वर्षा और अमृत वृष्टि की कामना से यह महा रुद्राभिषेक किया जा रहा है।
सीएम का संदेश
पूजन के बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव ने प्रदेशवासियों को रक्षाबंधन की शुभकामनाएं दीं और कहा, “मालवा में कहीं बारिश अधिक हुई है तो कहीं बिल्कुल कम। मैं बाबा महाकाल से प्रार्थना करता हूं कि प्रदेश के हर कोने में आनंद बरसाएं और किसानों को राहत मिले। यज्ञ की शुरुआत हो चुकी है, विश्वास है कि बाबा महाकाल इसे सफल बनाएंगे।”
आज उज्जैन के श्रीकेशरिया नाथ मणिभद्र तीर्थ धाम भैरवगढ़ में भगवान श्री पार्श्वनाथ जी, भगवान महावीर स्वामी जी एवं मणिभद्र भगवान का दर्शन कर प्रदेशवासियों के लिए सुख-समृद्धि की कामना की।
इस अवसर पर चातुर्मास कर रहे जैन संत परम पूज्य श्री अशोक सागर सूरीश्वर महाराज जी का चरण वंदना… pic.twitter.com/YwKQakJrBT
— Dr Mohan Yadav (@DrMohanYadav51) August 9, 2025
लोगों की उम्मीदें
जल संकट से जूझ रहे उज्जैन और आसपास के गांवों में इस अनुष्ठान को लेकर काफी उम्मीदें हैं। ग्रामीणों का मानना है कि सावन के अंतिम दिन और रक्षाबंधन जैसे पावन अवसर पर की गई यह प्रार्थना जरूर रंग लाएगी। मंदिर परिसर में मौजूद एक बुजुर्ग श्रद्धालु ने कहा, “जब तक बादल खुद बरसने नहीं आते, तब तक हम भगवान से ही आस लगाए रखते हैं।”
