उज्जैन | विक्रम विश्वविद्यालय के बीएससी एग्रीकल्चर कोर्स के पहले बैच के छात्र एक अभूतपूर्व संकट से गुजर रहे हैं। चार साल की पढ़ाई पूरी करने के बावजूद आठवें सेमेस्टर का परिणाम अभी तक घोषित नहीं हुआ है। करीब 200 छात्र इस अनिश्चितता की चपेट में हैं, जिनका भविष्य फिलहाल अधर में लटका है। इन छात्रों ने 2021-22 में दाखिला लिया था। चार साल के दौरान उन्होंने सालाना फीस, लैब खर्च और अन्य व्यय मिलाकर लगभग ढाई लाख रुपये का निवेश किया, लेकिन अब जब उनका कोर्स पूरा हो गया है, तब विश्वविद्यालय समय पर रिजल्ट देने में असफल रहा है। इसका असर उनकी आगे की पढ़ाई और नौकरियों की संभावनाओं पर साफ दिख रहा है।
छात्रों का कहना
छात्रों का कहना है कि रिजल्ट न आने की वजह से वे पीजी कोर्स में दाखिला नहीं ले पाए हैं। कृषि विषयों में स्नातकोत्तर प्रवेश की अंतिम तिथि निकल चुकी है और आवेदन के लिए अंतिम सेमेस्टर का परिणाम अनिवार्य होता है। दूसरी ओर, कई प्रतियोगी परीक्षाओं जैसे आईबीपीएस, एग्रीकल्चर फील्ड ऑफिसर और एसबीआई पीओ में शामिल होने से भी वे वंचित रह गए हैं। अब एकमात्र उम्मीद फूड सेफ्टी ऑफिसर की परीक्षा है, जिसके लिए 9 अगस्त तक आवेदन किया जा सकता है। अगर तब तक परिणाम नहीं आया, तो यह अवसर भी हाथ से निकल जाएगा।
अधिकारियों से लगाई गुहार
छात्रों ने विश्वविद्यालय के कई जिम्मेदार अधिकारियों से मिलकर गुहार लगाई है, लेकिन हर बार केवल आश्वासन मिला कि “जल्द रिजल्ट घोषित किया जाएगा।” परीक्षा नियंत्रक एमएल जैन का कहना है कि तकनीकी दिक्कतों की वजह से परिणाम जारी नहीं हो पाया है। उन्होंने यह भी बताया कि जिन छात्रों को पीजी में दाखिला लेना है, उन्हें विश्वविद्यालय की ओर से पासिंग सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा। हालांकि छात्रों का कहना है कि यह प्रमाणपत्र अधिकतर संस्थानों में मान्य नहीं होता।
छात्रों के परिजन भी परेशान
इस पूरे घटनाक्रम से छात्रों के परिजन भी बेहद परेशान हैं। लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी जब न तो डिग्री मिल रही है और न नौकरी के लिए योग्य माने जा रहे हैं, तो गुस्सा और मायूसी दोनों साफ दिखाई दे रही हैं। छात्रों ने अब विश्वविद्यालय से तत्काल समाधान की मांग की है, वरना वे प्रदर्शन या कानूनी रास्ता अपनाने पर मजबूर होंगे।
