नवरात्रि महापर्व की शुरुआत सोमवार से हो रही है और उज्जैन सहित आसपास के क्षेत्रों में गरबा पंडालों की तैयारियां जोरों पर हैं। इस बार गरबा आयोजन केवल भक्ति और परंपरा तक सीमित नहीं है, बल्कि लव जिहाद के मुद्दे ने भी इसे घेर लिया है। आयोजक सुरक्षा के साथ धार्मिक पहचान पर भी सख्ती बरत रहे हैं। नागदा के पंडित दीनदयाल चौराहे पर इस बार एक अलग नजारा देखने को मिलेगा। यहां युवा बालिकाएं हाथों में तलवार लेकर गरबा खेलने का अभ्यास कर रही हैं।
आयोजकों का कहना है कि यह विशेष प्रस्तुति सिर्फ आकर्षण के लिए नहीं, बल्कि संदेश देने के लिए भी है। उनका दावा है कि लगातार हिंदू युवतियों को निशाना बनाया जा रहा है, ऐसे में उन्हें आत्मरक्षा के लिए जागरूक करना जरूरी है।
सख्त नियम
उज्जैन-आलोट के सांसद अनिल फिरोजिया ने भी गरबा पंडालों में सख्त नियमों की वकालत की है। उनका कहना है कि बिना आधार कार्ड, कलावा और माथे पर टीका लगाए किसी भी युवक को पंडाल में प्रवेश न दिया जाए। सांसद ने साफ कहा कि गरबा एक धार्मिक उत्सव है, इसमें दूसरे धर्मों के लोगों की जरूरत नहीं है।
आयोजकों को सलाह
इससे पहले गुजरात की हिंदुवादी नेत्री काजल हिंदुस्तानी ने उज्जैन में 300 से अधिक महिलाओं को संबोधित किया था। उन्होंने गरबा पंडालों को ‘लव जिहाद’ का टारगेट बताया और कहा कि नवरात्रि में मुस्लिम युवक झूठी पहचान बनाकर पंडालों में घुसते हैं। काजल ने यहां तक कह दिया कि गरबा पंडालों में ‘सूअरों का प्रवेश निषेध’ जैसे बोर्ड लगने चाहिए। उन्होंने आयोजकों को सलाह दी कि आईडी चेक करने के साथ-साथ मोबाइल चैट हिस्ट्री तक देखनी चाहिए।
परिधानों पर सवाल
काजल ने युवतियों के परिधानों पर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि डीप नेक और बैकलेस चोली पहनकर गरबा करना परंपरा का अपमान है। उनका आरोप है कि आजकल इंस्टाग्राम और सोशल मीडिया ने गरबा को अशोभनीय रूप दे दिया है। उन्होंने माताओं से अपील की कि वे अपनी बेटियों की गतिविधियों पर ध्यान दें और उन्हें संस्कृति से जोड़ें।
पुलिस प्रशासन ने भी सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। कई पंडालों में प्रवेश से पहले आईडी चेक और निगरानी की व्यवस्था की जा रही है। इस बार नवरात्रि का गरबा केवल मां दुर्गा की आराधना का प्रतीक नहीं, बल्कि सामाजिक और धार्मिक संदेश देने का मंच भी बनने जा रहा है।