उज्जैन | सिंधिया देवस्थान ट्रस्ट के श्री द्वारकाधीश गोपाल मंदिर में जन्माष्टमी पर भगवान श्रीकृष्ण की जन्म आरती के बाद अब अगले चार दिन तक शयन आरती नहीं होगी। परंपरा है कि जन्म के बाद भगवान को बाल स्वरूप में माना जाता है और इस दौरान उनके सोने-जागने का कोई निश्चित समय नहीं होता। इसी कारण जन्माष्टमी से एकादशी तक रात की शयन आरती नहीं की जाती।
मंदिर प्रबंधन के अनुसार, बछ बारस के दिन विशेष परंपरा निभाई जाती है। इस दिन भगवान को चांदी की पादुका पहनाई जाती है और पूजन-अर्चन के बाद मंदिर के मुख्य द्वार पर बाल स्वरूप में भगवान माखन की मटकी फोड़ते हैं। इसके उपरांत दोपहर में शयन आरती संपन्न होती है। इस वर्ष यह आयोजन 20 अगस्त को होगा।
झांकी सजाई
जन्माष्टमी पर मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया। नवमी तिथि से ही मंदिर परिसर में यशोदा माता की विशेष झांकी सजाई गई है, जिसे देखने श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है।
उल्लास का विशेष माहौल
उज्जैन में बछ बारस पर धार्मिक उल्लास का विशेष माहौल रहता है। इस दिन महिलाएं मंदिरों, आश्रमों और गोशालाओं में जाकर गाय और बछड़ों का पूजन करती हैं। मान्यता है कि इस पूजा से परिवार में सुख-समृद्धि और संतान सुख की प्राप्ति होती है।
