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उज्जैन कार्तिक मेले में मौत का कुआं और नाव झूला सील, भड़के संचालक

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Published On: 25 November 2025

उज्जैन के शिप्रा तट पर चल रहे कार्तिक मेले में मंगलवार को बड़ा विवाद खड़ा हो गया। नगर निगम ने मौत का कुआं और नाव झूला को सुरक्षा कारणों से सील कर दिया। कार्रवाई के बाद झूला संचालकों में नाराजगी फैल गई और उन्होंने निगम से जमा की गई राशि वापस करने की मांग उठा दी। कार्तिक मेला हर साल की तरह इस बार भी 4 नवंबर से शुरू हुआ है और 3 दिसंबर तक चलेगा। मेले में हर तरह के व्यापारी और झूला संचालक शामिल होते हैं। इस बार नगर निगम ने बाहरी व्यापारियों को दुकानें और खुली जमीन ऑनलाइन प्रक्रिया के जरिए आवंटित की थी। हर व्यापारी ने आवेदन के साथ निर्धारित शुल्क जमा किया था।

सील किए गए झूले

निगम प्रशासन ने 19 नवंबर को मौत का कुआं और नाव झूला पर कार्रवाई करते हुए उन्हें सील कर दिया। निगम का कहना है कि सुरक्षा मानकों में कमी मिली थी, इसलिए ये कदम उठाना पड़ा। मेले के बीच में ऐसे मनोरंजन साधन बंद होने से दर्शकों में भी अचानक हलचल मच गई। मौत का कुआं और नाव झूला चलाने वाले संचालकों ने आरोप लगाया कि निगम के आदेश बिल्कुल अचानक आए। उनका कहना है कि उन्होंने न सिर्फ शुल्क जमा किया, बल्कि पुलिस प्रशासन से अनुमति लेकर ही झूले शुरू किए थे। इसके बावजूद निगम ने बिना सुनवाई के झूले बंद कर दिए, जिससे उन्हें लाखों रुपए का आर्थिक नुकसान हो रहा है।

निगम से की जमा राशि लौटाने की मांग

संचालकों ने कहा कि अगर निगम पहले ही संचालन पर रोक लगा देता तो वह झूला लेकर उज्जैन नहीं आते। उन्होंने निगम से कहा है कि जिस रकम पर उन्हें मेले में भूखंड दिया गया था, वह तुरंत वापस की जाए। उनका यह भी कहना है कि मेले के पीक सीजन में झूला सील होने से रोजाना बड़ी आय प्रभावित हो रही है।

मामले को गंभीर होते देख व्यापारी और झूला संचालक नगर निगम महापौर मुकेश टटवाल से मिले। उन्होंने महापौर को पूरी स्थिति बताई कि कैसे अचानक की गई कार्रवाई से उनका व्यवसाय ठप हो गया है। इसके साथ ही झूला संचालकों ने निगम आयुक्त अभिलाष मिश्रा के नाम एक ज्ञापन सौंपकर समाधान की मांग की।

व्यापारियों का तर्क

संचालकों का कहना है कि वे हर साल मेले में आते हैं और प्रशासन को भरोसा होता है कि झूले से दर्शक आकर्षित होते हैं। उन्होंने कहा कि इस बार ऑनलाइन व्यवस्था के तहत ही सारी प्रक्रिया पूरी की गई थी। ऐसे में भ्रष्टाचार या अनुमति न होने की बात पूरी तरह गलत है। दूसरी ओर निगम अधिकारियों का कहना है कि यह मामला पूरी तरह सुरक्षा से जुड़ा है। मेले में भीड़ दिनों-दिन बढ़ रही है और सुरक्षा मानकों के बिना भारी झूले चलाना खतरे से खाली नहीं है। अधिकारियों का कहना है कि यदि संचालक जरूरी सुधार कर लेते हैं तो आगे की प्रक्रिया नियमों के अनुसार की जाएगी।

मेले की सुरक्षा पर सवाल

कार्तिक मेला धार्मिक महत्व के साथ-साथ व्यापारिक गतिविधियों का भी बड़ा केंद्र है। ऐसे में मनोरंजन झूलों की सुरक्षा पर सवाल उठना गंभीर बात है। मौत का कुआं जैसे एडवेंचर शो बड़ी संख्या में लोगों को आकर्षित करते हैं, लेकिन सुरक्षा की चूक हादसे का कारण बन सकती है। इसी वजह से निगम की कार्रवाई को लेकर शहर में चर्चा गर्म है। संचालक अब उम्मीद लगाए बैठे हैं कि निगम या महापौर उनकी बात सुने और जमा राशि लौटाई जाए। वहीं निगम का रुख फिलहाल सख्त है और वह नियमों को प्राथमिकता देने की बात कह रहा है। इस बीच मेला आए दर्शक भी यह जानने को उत्सुक हैं कि मौत का कुआं और नाव झूला दोबारा शुरू होंगे या नहीं।

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