2028 में होने वाले उज्जैन सिंहस्थ के लिए किसानों की जमीनों के स्थायी अधिग्रहण को लेकर सोमवार को पूरे मध्य प्रदेश में विरोध प्रदर्शन किया गया। इस आंदोलन का नेतृत्व भारतीय किसान संघ (बीकेएस) ने किया। उज्जैन सिंहस्थ क्षेत्र के करीब 17 गांवों के किसानों ने इस अधिग्रहण के खिलाफ कलेक्टरों को ज्ञापन सौंपा। मंगलवार को उज्जैन में करीब 500 ट्रैक्टरों की रैली निकाली जाने की योजना है।
उज्जैन विरोध प्रदर्शन में बीकेएस के राष्ट्रीय महामंत्री मोहिनी मोहन मिश्रा भी शामिल हुए। उन्होंने कहा कि लैंड पूलिंग एक्ट को लेकर किसान संघ आगे भी आंदोलन करता रहेगा और किसानों के हित में अपनी मांगों को लगातार उठाएगा।
इस मामले पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से पूछा गया कि क्या लैंड पूलिंग एक्ट में बदलाव किए जा रहे हैं। सीएम ने कहा कि सरकार का उद्देश्य हमेशा सभी से संवाद करना और सभी हितों का ध्यान रखना है। उन्होंने कहा कि विकास के रास्ते पर सभी को साथ लेकर चलना हमारा मकसद है और अभी तक हमारे विकास कार्यों को जनता का समर्थन मिला है।
किसानों की मांगें
- फसल के लिए बीज, खाद, दवाई और यंत्रों पर जीएसटी पूरी तरह हटाया जाए।
- फसलों के आयात–निर्यात नीति किसानों के हित में बनाई जाए।
- जीएम बीजों को देश में आने की अनुमति न हो।
- जमीन का अधिग्रहण केवल राष्ट्रीय महत्व और विकास योजनाओं के लिए हो।
- कृषि लोन और किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) की प्रक्रिया आसान, पारदर्शी और ऑनलाइन हो।
- खेती में लगे डीजल पर जीएसटी लागू किया जाए।
- हर ग्राम पंचायत में वर्षा मापक यंत्र लगाएं जाएं।
- सभी फसलों की खरीदी पूरे साल समर्थन मूल्य (MSP) पर हो।
- किसान सम्मान निधि बढ़ाकर ₹10,000 प्रति हेक्टेयर की जाए।
- जैविक खेती करने वाले किसानों को समान सब्सिडी मिले।
- फसल बीमा योजना में सर्वे सही तरीके से खेत में जाकर किया जाए।
- किसानों को 5 लाख रुपये तक का कृषि ऋण तुरंत मिले।
दी गई चेतावनी
किसान संघ का कहना है कि अगर उनकी मांगों को गंभीरता से नहीं लिया गया तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। सिंहस्थ क्षेत्र में किसानों की जमीनों के स्थायी अधिग्रहण के मामले में यह संघर्ष प्रदेश भर में चर्चा का विषय बना हुआ है।
