उज्जैन के मशहूर श्री महाकालेश्वर मंदिर में अब VIP दर्शन की व्यवस्था को पूरी तरह तकनीकी ढंग से संभाला जा रहा है। पहले जहां प्रोटोकॉल दर्शन में अफसरों और कर्मचारियों की समझदारी पर भरोसा किया जाता था, वहीं अब टेक्नोलॉजी से सब कुछ ट्रैक होगा। मंदिर प्रशासन ने साफ कहा है कि अब “कौन आया, कब आया और कितने लोग साथ थे”—सब कुछ रियल टाइम में रिकॉर्ड रहेगा।
कैसे काम करेगी नई व्यवस्था
मंदिर के प्रशासक प्रथम कौशिक की देखरेख में यह नई प्रणाली शुरू की गई है। जैसे ही कोई वीआईपी श्रद्धालु मंदिर पहुंचता है, शंख द्वार पर मौजूद कर्मचारी उसकी एंट्री गूगल डॉक्स पर दर्ज करते हैं। उसी पल यह जानकारी सीधे मंदिर प्रशासक और सहायक प्रशासक आशीष पलवड़िया के मोबाइल पर पहुंच जाती है। यह डेटा केवल आने-जाने की जानकारी तक सीमित नहीं है।
- श्रद्धालु कब और किस गेट से अंदर गए
- दर्शन में कितना समय लगा
- कितने लोग साथ आए
- प्रोटोकॉल दर्शन की सिफारिश किसने की
- क्या सभी नामित व्यक्ति ही आए या कोई अतिरिक्त मेहमान साथ था
- इतना ही नहीं, यह भी ट्रैक किया जा रहा है कि वीआईपी को रिसीव कौन करता है और दर्शन की प्रक्रिया में कौन-कौन कर्मचारी शामिल होते हैं।
- तीन स्तर की जांच और मोबाइल पर लाइव फीड
प्रशासन ने पूरी व्यवस्था को तीन स्तरों पर चेक करने की व्यवस्था की है। यानी, कहीं कोई गड़बड़ी या गलत जानकारी न जाए, इसकी पूरी निगरानी रहेगी। इन तीनों स्तरों की लाइव फीड अधिकारियों के मोबाइल पर दिखती रहती है, जिससे तुरंत कार्रवाई संभव हो सके। सहायक प्रशासक आशीष पलवड़िया ने बताया कि अब हर दिन यह देखा जा रहा है कि कितने वीआईपी श्रद्धालु प्रोटोकॉल दर्शन के लिए आए, उन्हें नंदी हॉल या जलद्वार तक कैसे पहुंचाया गया और पूरी प्रक्रिया में कितना समय लगा।
अक्टूबर से लागू हुई डिजिटल प्रणाली
मंदिर प्रशासन ने यह तकनीकी सिस्टम अक्टूबर के पहले हफ्ते में लागू किया था। अब इसके नतीजे साफ नजर आने लगे हैं। अधिकारियों के मुताबिक, पहले जहां कई बार बिना अनुमति के लोग प्रोटोकॉल दर्शन में शामिल हो जाते थे, अब ऐसा होना लगभग नामुमकिन है।
