प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर, 2016 को रात के समय देश में नोटबंदी की घोषणा की थी। इसके तहत, 500 और 1000 रुपये के नोट अचानक ही बंद कर दिए गए और उन्हें कानूनी रूप से अमान्य कर दिया गया। इस फैसले का उद्देश्य काले धन पर अंकुश लगाना, नकदी पर निर्भरता कम करना और डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देना था। नोटबंदी की घोषणा से पूरे देश में वित्तीय व्यवस्था में हड़कंप मच गया था और लोगों को अपने पुराने नोट बदलवाने या बैंकिंग व्यवस्था के चलते लंबी कतारों में लगना पड़ा। आज इस ऐतिहासिक कदम को लागू हुए 9 साल पूरे हो गए हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को देश में नोटबंदी की घोषणा की, जिसके तहत 500 और 1000 रुपये के नोट तुरंत चलन से बाहर कर दिए गए। इस फैसले का उद्देश्य काले धन, जाली मुद्रा और आतंकवादी वित्तपोषण पर रोक लगाना और साथ ही डिजिटल लेन-देन व वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देना था।
नोटबंदी का उद्देश्य
प्रधानमंत्री ने देश को संबोधित करते हुए 8 नवंबर 2016 को नोटबंदी की घोषणा की, जिसमें ₹500 और ₹1000 के पुराने महात्मा गांधी सीरीज़ वाले नोट कानूनी रूप से अमान्य कर दिए गए। इसका मतलब था कि इन नोटों का अब किसी भी प्रकार के लेनदेन में इस्तेमाल नहीं किया जा सकेगा। सरकार ने इस कदम के पीछे तीन मुख्य उद्देश्य बताए थे: देश से काला धन खत्म करना, जाली नोटों पर रोक लगाना और आतंकवाद व भ्रष्टाचार के लिए इस्तेमाल हो रहे नकद पैसों पर नियंत्रण करना।
बैंकों में लगी लंबी कतारें
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा के तुरंत बाद 8 नवंबर, 2016 को देशभर में बैंकों और एटीएम के बाहर लंबी कतारें लग गई थीं। लोगों को अपने पुराने ₹500 और ₹1000 के नोट बैंक या डाकघर में जमा कराने का समय दिया गया, जबकि नई करेंसी के रूप में ₹500 और ₹2000 के नोट जारी किए गए। इस कारण कुछ समय के लिए नकदी की कमी महसूस हुई, लेकिन डिजिटल पेमेंट और ऑनलाइन लेनदेन में तेजी आई। आर्थिक विशेषज्ञों ने इस कदम पर मिश्रित प्रतिक्रिया दी; कुछ ने इसे साहसिक निर्णय बताया, तो कुछ ने आलोचना की।
डिजिटल पेमेंट का बढ़ा इस्तेमाल
नोटबंदी के बाद व्यापार और उद्योगों की गति कुछ महीनों के लिए धीमी हो गई, जिससे छोटे और मध्यम व्यवसाय (SMEs) को सबसे ज्यादा असर पड़ा। नकदी की कमी के कारण लोगों ने डिजिटल पेमेंट ऐप्स जैसे Paytm, UPI, BHIM और Google Pay का इस्तेमाल बढ़ा दिया, जो नोटबंदी का सबसे बड़ा सकारात्मक प्रभाव माना गया। इस कदम ने देश को कैशलेस इकॉनमी की ओर बढ़ने में मदद की। RBI की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 99% पुराने नोट बैंकों में वापस लौट आए, जिससे यह साफ हुआ कि काले धन का बड़ा हिस्सा नकद में नहीं था। इसके अलावा, नकली नोटों पर भी कुछ हद तक नियंत्रण पाया गया।
