त्योहारों की रौनक में लोग अक्सर पुराने सोने और चांदी बेचने बाज़ार जाते हैं। लेकिन इस बार लोगों को बड़ा झटका लगा। ज्वेलर्स ने पुराने सोने और चांदी की असल कीमत का केवल 50-65% ही भुगतान किया। यानी, जो पैसा खरीदार ने सोने और चांदी के लिए दिया था, उसका आधा या उससे थोड़ा अधिक ही मिला। स्थानीय व्यापारी और ग्राहक दोनों हैरान हैं, क्योंकि भरोसेमंद समझे जाने वाले ज्वेलर्स अब सिक्कों और ज्वैलरी की असलियत छुपा रहे हैं।
नकली हॉलमार्क
शादियों या दिवाली में गिफ्ट के रूप में मिले चांदी के सिक्के और ज्वैलरी भी नकली निकल रहे हैं। कई ज्वेलर्स अब मुँह छुपा कर कह रहे हैं कि नकद लौटाना संभव नहीं है, और ग्राहक चाहे तो ज्वैलरी के बदले दूसरी ज्वैलरी खरीद सकते हैं, यानी खरीदार ने जो असली सोने या चांदी के पैसे दिए थे, उन्हें केवल 60-65% ही मिला और बाकी को फिर से वही खरीदने पर मजबूर होना पड़ा।
बड़े ब्रांडों की मजबूती
इस धोखे से बचने के लिए लोग तनिष्क, टाटा और अन्य बड़े ब्रांड की ओर रुख कर रहे हैं। इन ब्रांडों में शुद्धता (purity) और buyback policy स्पष्ट होती है। थोड़ी ज्यादा कीमत देने पर भी लंबी अवधि में नुकसान नहीं होता। विशेषज्ञों का कहना है कि बिना प्रमाण वाले ज्वेलर्स से सस्ता सोना खरीदना बहुत जोखिम भरा हो गया है।
सावधानी जरूरी
सोने और चांदी की खरीद या बिक्री के बाद BIS प्रमाणित सेंटर में जाँच करवाना जरूरी है। यह सुनिश्चित करता है कि खरीदी गई वस्तु असली है और भविष्य में धोखाधड़ी से बचा जा सके।
ग्राहकों को सलाह दी जा रही है कि सिर्फ भरोसेमंद और प्रमाणित ज्वेलर्स से ही लेन-देन करें, और किसी भी तरह के ‘अदला-बदली’ या नकद न देने के झांसे में न आएं।
