भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए बड़ा फैसला लिया है। नए नियमों के अनुसार अब म्यूचुअल फंड यूनिट्स को एक निवेशक से दूसरे निवेशक को ट्रांसफर करने के लिए डीमैट अकाउंट होना जरूरी नहीं रहेगा। यह बदलाव उन करोड़ों निवेशकों के लिए लाभकारी होगा जो अपनी म्यूचुअल फंड होल्डिंग्स को नॉन-डीमैट मोड यानी ‘स्टेटमेंट ऑफ अकाउंट’ (SoA) में रखते हैं। SEBI का यह कदम निवेशकों के लिए प्रक्रिया को सरल और पारदर्शी बनाने की दिशा में अहम सुधार माना जा रहा है।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने म्यूचुअल फंड निवेशकों के लिए एक महत्वपूर्ण राहत की घोषणा की है। यह बदलाव उन करोड़ों निवेशकों के लिए राहत का कारण बनेगा, जो पहले डीमैट अकाउंट के बिना इस तरह के ट्रांसफर नहीं कर पाते थे।
SEBI ने Mutual fund को बनाया आसान
SEBI ने म्यूचुअल फंड यूनिट्स के ट्रांसफर में बदलाव किया है, जिससे निवेशकों के लिए अपने परिवार के सदस्यों को यूनिट्स देना, करीबी का नाम जोड़ना या कानूनी उत्तराधिकार से जुड़े मामलों को निपटाना पहले की तुलना में आसान हो गया है। पहले यह सुविधा केवल डीमैट अकाउंट वाले निवेशकों के लिए थी, जिससे नॉन-डीमैट निवेशकों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था। SEBI का कहना है कि यह कदम निवेशकों की वास्तविक जरूरतों को ध्यान में रखकर लिया गया है, ताकि निवेश को पारिवारिक वित्तीय योजना के अनुरूप सहजता से ट्रांसफर किया जा सके।
निवेशकों को मिली राहत
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने म्यूचुअल फंड यूनिट्स के ट्रांसफर की प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल और सुरक्षित बना दिया है। अब निवेशकों को यूनिट्स ट्रांसफर करने के लिए कहीं जाने की आवश्यकता नहीं होगी और यह काम वे घर बैठे ही रजिस्ट्रार और ट्रांसफर एजेंट्स (RTAs) जैसे CAMS, KFintech या MF सेंट्रल की वेबसाइट के माध्यम से कर सकेंगे। निवेशक अपने पैन नंबर से लॉग-इन करके संबंधित स्कीम और ट्रांसफर प्राप्तकर्ता का विवरण दर्ज करेंगे, और सभी यूनिटधारकों की सहमति OTP के माध्यम से ली जाएगी। यह प्रक्रिया फर्स्ट-इन, फर्स्ट-आउट (FIFO) के आधार पर पूरी होगी।
जानें किन योजनाओं पर लागू होगा ये नियम
- यह नियम एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड्स (ETFs) और सॉल्यूशन-ओरिएंटेड स्कीम्स जैसे चिल्ड्रन्स फंड या रिटायरमेंट फंड पर लागू नहीं होंगे।
- इन योजनाओं में लॉक-इन अवधि और आयु आधारित शर्तें होती हैं। ‘
- स्टेटमेंट ऑफ अकाउंट’ मोड में यूनिट रखने वाले सभी निवासी और अनिवासी भारतीय (NRI) इस सुविधा का लाभ उठा सकेंगे।
- नाबालिग के फोलियो से यूनिट्स ट्रांसफर करना या किसी निवासी भारतीय द्वारा एनआरआई को यूनिट्स ट्रांसफर करना नियमों के तहत प्रतिबंधित रहेगा।
ट्रांसफर से पहले रखे इन बातों को ध्यान
- भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने म्यूचुअल फंड यूनिट्स के ट्रांसफर को आसान बनाने के लिए नए नियम लागू किए हैं।
- ट्रांसफर की जा रही यूनिट्स लॉक-इन, लियन या फ्रीज़ में नहीं होनी चाहिए
- ट्रांसफर करने वाले व पाने वाले दोनों के पास एक ही म्यूचुअल फंड हाउस में वैध फोलियो होना जरूरी है।
- यदि प्राप्तकर्ता के पास फोलियो नहीं है, तो उसे पहले ‘जीरो बैलेंस फोलियो’ खोलना होगा।
- दोनों पक्षों का केवाईसी सत्यापित होना अनिवार्य है।
- यह कदम निवेशकों की सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।
