महापौर पुष्यमित्र भार्गव के बेटे संघमित्र का वाद-विवाद प्रतियोगिता में दिया गया भाषण अब राजनीति का मुद्दा बन गया है। सोशल मीडिया पर भाषण के वायरल होने के बाद बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने आ गए हैं। जहां बीजेपी नेता खुलकर महापौर के बेटे के बचाव में उतर आए हैं, वहीं कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी संघमित्र की वाकपटुता की तारीफ की है।
कला से जोड़ी मिसाल
नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने सोशल मीडिया पर लंबा पोस्ट लिखते हुए संघमित्र का बचाव किया। उन्होंने कहा कि वाद-विवाद का मकसद ही यही है कि कोई पक्ष रखे और कोई विपक्ष। संघमित्र ने विपक्ष की भूमिका निभाते हुए अपनी प्रतिभा दिखाई। विजयवर्गीय ने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे रंगमंच पर कोई अभिनेता नायक और खलनायक दोनों की भूमिका निभाता है, वैसे ही यह भी कला की अभिव्यक्ति है। इसे राजनीति से जोड़ना निंदनीय है।
उन्होंने आगे लिखा कि जैसे आशुतोष राणा नाटक में रावण की भूमिका निभा रहे हैं, क्या इससे वे सचमुच रावण हो गए? बिल्कुल नहीं। संघमित्र को सिर्फ इसलिए ट्रोल किया जा रहा है क्योंकि वह महापौर का बेटा है। यह अन्यायपूर्ण है और युवा की प्रतिभा को कुचलने जैसा है।
जिराती भी उतरे समर्थन में
बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष जीतू जिराती ने भी महापौर पुत्र का बचाव किया। उन्होंने कहा कि वाद-विवाद प्रतियोगिता प्रतिभा दिखाने का मंच है, राजनीति का अखाड़ा नहीं। संघमित्र पर हो रहे प्रहार युवाओं के सपनों को कुचलने का प्रयास हैं।
दिग्विजय सिंह ने की तारीफ
इस पूरे मामले में कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भी संघमित्र की तारीफ कर दी। उन्होंने कहा कि महापौर का बेटा बेहद प्रभावशाली वक्ता है और उसने अपनी बात मजबूती से रखी। हालांकि उनकी इस तारीफ पर खुद महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने सवाल उठाए और कहा कि इसमें छिपे राजनीतिक संकेतों को समझने की जरूरत है।
महापौर का पलटवार
महापौर भार्गव ने साफ कहा कि उनके बेटे ने प्रतियोगिता में दिए गए विषय पर पक्ष और विपक्ष दोनों रखा था, लेकिन विपक्ष वाला हिस्सा ही चर्चा में लिया गया। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि कांग्रेस अब वाद-विवाद और खेल प्रतियोगिताओं को भी राजनीति का अड्डा बनाना चाहती है, यह उनकी सोच को दिखाता है।
भाषण का हिस्सा हटाया गया
संघमित्र के भाषण में बुलेट ट्रेन, स्टेशन री-डेवलपमेंट और रेल हादसों का मुद्दा उठाया गया था। जैसे ही यह हिस्सा सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, मुख्यमंत्री के कार्यक्रम की लाइव स्ट्रीमिंग से इसे हटा दिया गया। कुल मिलाकर एक वाद-विवाद प्रतियोगिता से शुरू हुआ मामला अब राजनीति के गलियारों में तूल पकड़ चुका है।
