उत्तर भारत से लगातार आ रही बर्फीली हवाओं ने MP में ठंड एक बार फिर बढ़ा दी है। ग्वालियर, चंबल और सागर संभाग सबसे ज्यादा प्रभावित हैं, जहां कई इलाकों में सुबह घना कोहरा भी छा रहा है। मौसम विभाग के अनुसार, हिमाचल और उत्तराखंड के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ के कारण बर्फबारी और बारिश का दौर जारी है, जिसकी ठंडी हवाएं सीधे एमपी तक महसूस की जा रही हैं। विभाग ने चेतावनी दी है कि 7 और 8 दिसंबर को ठंड और तेज़ होगी।
शुक्रवार-शनिवार की रात प्रदेश के कई हिस्सों में तापमान अचानक नीचे गिरा और पहली बार पारा 5 डिग्री के नीचे पहुंच गया। उमरिया में न्यूनतम तापमान 4.8 डिग्री दर्ज किया गया, जो प्रदेश में सबसे कम रहा। इसके अलावा राजगढ़ में 5 डिग्री, रीवा में 5.4 डिग्री, नौगांव में 5.7 डिग्री और खजुराहो में 6.4 डिग्री दर्ज हुआ। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर जैसे बड़े शहर भी तेज़ ठंड से नहीं बच सके। इंदौर में रात का तापमान 6.2 डिग्री तक गिर गया, जबकि भोपाल में पारा 8.2 डिग्री दर्ज किया गया।
दिन में भी बढ़ी सर्दी
दिन के तापमान में भी उल्लेखनीय गिरावट देखी गई। पचमढ़ी और नरसिंहपुर में अधिकतम तापमान 23.2 डिग्री दर्ज हुआ, जो सीजन के लिहाज से काफी कम है। अधिकांश जिलों में दिन 24 से 26 डिग्री के बीच रहे। भोपाल में 25 डिग्री, इंदौर में 24.8 डिग्री और ग्वालियर में 25.6 डिग्री तापमान रहा। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि आने वाले दिनों में दिन का तापमान और नीचे जा सकता है, जिससे ठंड और तीखी महसूस होगी।
नवंबर ने पहले ही तोड़े रिकॉर्ड
मौसम विभाग का अनुमान है कि इस बार दिसंबर की ठंड पिछले कई वर्षों के रिकॉर्ड तोड़ सकती है। नवंबर महीने में भोपाल में लगातार 15 दिनों तक शीतलहर चली—जो 84 साल बाद पहली बार हुआ। 17 नवंबर की रात का तापमान 5.2 डिग्री तक गिरा, जिसने 1941 के रिकॉर्ड को भी पीछे छोड़ दिया। इंदौर में भी 25 साल बाद तापमान में इतनी बड़ी गिरावट देखने को मिली।
सीनियर मौसम वैज्ञानिक डॉ. दिव्या ई. सुरेंद्रन बताती हैं कि उत्तराखंड और हिमाचल के ऊंचाई वाले इलाकों में इस बार नवंबर के पहले हफ्ते से ही बर्फबारी शुरू हो गई थी। इससे ठंडी हवाएं जल्द नीचे उतरीं। नवंबर के आखिरी सप्ताह में हवा की दिशा बदलने से थोड़ी राहत मिली, लेकिन दिसंबर में पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने से ठंड वापस तेज हो गई है।
दिसंबर-जनवरी हमेशा सबसे ठंडे
मौसम विभाग की दीर्घकालिक मौसम रिपोर्ट बताती है कि दिसंबर और जनवरी में ही प्रदेश में सबसे ज्यादा सर्दी पड़ती है। इन दो महीनों में उत्तर से आने वाली हवाएं सबसे अधिक सक्रिय रहती हैं, जिससे तापमान में तेज गिरावट आती है। पश्चिमी विक्षोभ के कारण दिसंबर में मावठा भी पड़ता है, जिससे दिन का तापमान भी तेजी से नीचे आता है और सर्दी का असर दोगुना महसूस होता है।
