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MP में तेजी से बढ़ रही सर्दी, 10 डिग्री के नीचे पहुंचे 9 शहरों के तापमान; पढ़ें आज की ताजा Weather Update

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Published On: 5 December 2025

MP में ठंड इस हफ्ते अचानक तेज हो गई है। बुधवार-गुरुवार की रात राज्य के 9 शहरों में तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे दर्ज किया गया। ग्वालियर, मुरैना और शहडोल जैसे क्षेत्रों में पारा सामान्य से कई डिग्री कम रहा। वहीं, राज्य का इकलौता हिल स्टेशन पचमढ़ी सबसे ठंडा रहा, जहां तापमान 6.6 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। मौसम विभाग के मुताबिक हिमालयी क्षेत्रों में दो पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हैं। इनके चलते 5 और 7 दिसंबर के बीच हिमाचल और उत्तराखंड के ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी और बारिश की संभावना है।

उत्तर से चलने वाली ठंडी हवाएं सीधे मध्यप्रदेश में प्रवेश करेंगी। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि 7 और 8 दिसंबर को उज्जैन, ग्वालियर, चंबल और सागर संभाग में ठंड में अचानक बढ़ोतरी देखी जा सकती है। भोपाल, इंदौर और जबलपुर भी इससे अछूते नहीं रहेंगे।

नवंबर ने तोड़ा रिकॉर्ड

इस बार सर्दी ने नवंबर में ही रिकॉर्ड तोड़ दिया था। भोपाल में 84 साल का रिकॉर्ड गिरा, जबकि इंदौर में 25 साल में सबसे कम तापमान दर्ज किया गया। विभाग के अनुसार ठंड का यही तेवर दिसंबर में भी जारी रहने वाला है। मौसम वैज्ञानिकों का अनुमान है कि कई शहरों में तापमान पिछले वर्षों के औसत से काफी नीचे रहेगा।

प्रदेश में सबसे कम तापमान पचमढ़ी का रहा, जहां घने जंगल और ऊंचाई की वजह से दिन-रात ठिठुरन बनी हुई है। शहडोल का कल्याणपुर 7.4 डिग्री, शाजापुर 7.9, मुरैना 8.5 और उमरिया 9.1 डिग्री पर रहा। दतिया, राजगढ़ और रीवा भी सिंगल डिजिट में दर्ज किए गए। बड़े शहरों में ग्वालियर का पारा 8.6 डिग्री रहा, जबकि इंदौर 10.2, जबलपुर 11.4, भोपाल 11.6 और उज्जैन 13 डिग्री के आसपास रहा।

कोहरे ने बढ़ाई मुश्किलें

राज्य में ठंड के साथ सुबह-सुबह कोहरा भी छाने लगा है, जिससे ट्रैफिक प्रभावित हो रहा है। विभाग ने लोगों को सुरक्षित ड्राइविंग की सलाह देते हुए फॉग लाइट और धीमी गति अपनाने को कहा है। स्वास्थ्य एडवाइजरी में सिर, कान, गर्दन और पैरों को ढंक कर रखने की सलाह दी गई है। विशेषज्ञों ने फ्लू, खांसी या जुकाम होने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेने की बात कही है।

कृषि विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि जहां मिट्टी में नमी पर्याप्त हो, वहीं गेहूं, चना, सरसों और मटर की बुआई करें। पहले से बोई गई फसलों के लिए कृषि वैज्ञानिकों से परामर्श लेने की सलाह दी गई है। साथ ही खेतों में बचे अवशेष या ठूंठ जलाने से बचने को कहा गया है, क्योंकि तापमान गिरने के साथ प्रदूषण भी बढ़ सकता है।

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